आज मैं बताऊंगा था 52 सक्ती पीठ की
दुनिया फैन होने लगी इस बंदे धीट की
आस्मा भी देता है कवाही मेरी बातों की
बोल सचे पिक्ते मेरे महनत पीछे रातों की
जो किसी ने बताया ना सत्या मैं बताऊंगा
जोये हुए सचे हितु फिर से मैं जगाऊंगा
देश बेरे खारत को अखंड मैं बनाऊंगा
नैना जॉला चिंता पुर्णी पासे मैं मिलवाऊंगा
52 सक्ती पीठों की कहानी मैं बताऊंगा
कैसे कब क्यूं बने कहा है बताऊंगा
सचे हितुफों की दिल पे आस्ता जगाऊंगा
और छूद बे इधास की बिलासत से मिलवाऊंगा
प्रजापती दक्स ने धर रखा एक यक्य
सारे देव रिशियाए द्वार सच भप्य
सबको धनी पत्रन की यक्य में तुम आना जी
फुद भी आना बच्चे लाना पत्नी को भी लाना जी
छपन भोग खाने को तुम बेट बरके खाना जी
बस आके मेरे यक्य की तुम सोबा को बढ़ाना जी
चंदर राए रोहनी को लेके अपने साथ में
सुरह में ते आए लेके दोनों पत्नी साथ में
अगनी वायू बरुन अपनी पतनी लाए साथ में
इंदर लेके इंदराणी आये अपने साथ में
विश्नु जी भी आये माता लक्षमी के संग में
सक्तरी सी हर्स और उलास के तै रंग में
ब्रह्मा लेके आये फ्रिया अपनी सर्चवती को
काम देव साथ में ले आए उनकी रती को
दक्सारी पुत्री से बोले लाओ पती को
पता नहीं कैसे भूल पैठा माता सती को
जुरासी पुत्रीयों में से सती ना बुलाई थी
सारी सबा भिकी थी उदासी ऐसी छाई थी
प्रजापती दक्स पे था छाया अभिमान
बेटी और दामात का क्रियाम था अपमान
बेटी उनकी सती थी दामात शिव गुवान
कभी कभी आ जाता है ज्यानी में अक्यान
एक बार शिव आये अपने ससुराल
वेश था पैरागी का पहनी शिर की खाल
प्रजापती दक्स को था माया का गुमान
चाहता था शिव करे जुब के परनाम
उल्टा महादेव ने दिया था आशिरपाद
दक्स का था ग्रोध पड़ा उत्पल के बाद
इसलिए यक्या क्या बहाना यू बनाया था
माता शती शिव कोना यक्या मैं भुलाया था
शती माता यक्या से बैदी थी अनजान
शिव संगु सांति से कर रहे थे ध्यान
तभी माता सती बोली प्रबो मुझको जाने दो
इता शिरी ने क्यों न बुलाया पूच के आने दो
तभी शिब बोले जाओ जाने का इरादा है
पर होगा अपबान मेरा तुम से ये बादा है
तिर भी जाना चाहो तो नंदी को साथ ले जाओ तुम
चल्दी जाके शिगर ही कै लास्ट लोड आओ तुम
माता सती आई अपने माई के बताने को
पिता जिससे बोली शिब को नियोता भिजवाने को
तभी दक्स मुक्स से जो निकले अंगार
बोले तेरा पती है कपाल और भंगार
तु भी कैसी निर्जल है जो बिन बुलाए आ गई
सुनके दक्स के बोल सती मा को शर्म आ गई
माता सती चुप होके लगी बापिस जाने को
अंदर अंदर कोश रही थी खुद को यहां आने को
नंदी बोला चलो माता और क्या सुनना बाकी है
शिब का अपमान करने पाला दक्स पापी है
दक्स को ना चुप कोई कर राने आज वाला जी
गुसे से वो लाल बुक से फूट भी जवाला जी
बोला वो कपाली और पखंडी महादेव को
बोला मैंना चानता आगोरी उस प्रेद को
गुसे में वो आदी सक्ती बोली मैंना सती कोई
तुझ में ना है बुती ना है ग्यान ना है बती कोई
तुझ को यही इसी पक्त मार मैं भी सक्ती हूँ
पर बेटी ओट भी जाका बंदर बार ना मिल सकती हूँ
अभी तेरे यक्या को असफल बनाती हूँ
इस सती नाम के सर्वीर को जनाती हूँ
सती सदा रहेगी जी सिव जी के बन में
उनसे मिलने आओंगी मैं अगले जनम में
माता सती चली भस हुई अगनी पुंड में
दक्ष के देशैनी खड़े एक बड़े छुन्ड में
सिव जी ने बीर भतर भेजा दक्ष को मारने
भतर काली साथ मेना देगी उसे हारने
बीर भतर आये सबा गला दक्ष का काटने
प्रजापती दक्ष लगा पाउँ के चाटने
प्रजापती दक्ष का जी काट डाला गला था
पर पहा देव का करूद अभी न टला था
दुकी होके सती के उठाया चले सबको
किया ऐसा टांडब डर लगने लगा सबको
प्रित्वी पे दुकी हार मानव जीव संथा
लगा जैसे आने वाला अभी सबका अंथा
विश्णु केशु करसने की ये थे टुगडे सती के
बहा बने बीट जहां पिंड गिरे सती के
52 पिंड गिरे थे तो 52 सक्ति बीट है
अब मैं बताता हूँ कि वो 52 पिंड कहाँ कहाँ गिरे थे
और कौन सा अंद या कौन सा पिंड
आज किस सक्ति बीट के नाम से बिख्यात है
नेण गिरे जहां माता नेना देवी बन गई
कांगडा में जीव गीरी ज्वाला बाता बन गई
पाकिस्ता में सिर कीरा माता हिंगुला बन गई
लंका कीरी पाइल इंजराक्षी माता बन गई
जहां बाया कंदा कीरा उम्मा शक्ति पीट है
बंगलादिस में गला शिरी शैल सक्ति पीट है
22 जान कीरी वोजियंती सक्ति पीट है
दाई वुजा बंगलादिस में चेटल सक्ति पीट है
नेपाल मश्तिस कीरा चंडी सक्ति पीट है
दाया हात कीरा तिपत मंसा सक्ति पीट है
भूतने नेपाल महा पाया सक्ति पीट है
बंगलादिस में लाख है, सुकंदा सक्ति पीठ है
कंठ गिरा चमू पहल गाओ महा माया है
चलंदर तिरपुर मालनी में पाया बक्ष आया है
ओडिसा नाभी गीरी माता भिमला बहा आयी है
घिर्द्या जहां परकट है वो पैदनात माई है
बंगाल बाया हात गीरा माता बहुला आयी है
दाई है कलाई जहां माता उसनी आयी है
दाया पैर गीरा जहां तिप्पुर सुन्दरी माता है
बंगाल दाया पैर गीरा प्रामरीपो माता है
योनी किरी असाम में का बक्ष्या देवी माता है
प्रयाग राज कुंगली कीरी कलता देवी माता है
बंगाल दाएं पैर का अंगुठा धातरी अंबे मा
कुलकता बाएं पैर का अंगुठा काली का अंबे मा
बंगाल मुक्र गीरा भूम नेशी मा कहलाई
वो वारानासी में कुंगल गीरे विशाल लाक्षी बाई
वो कटेशम में गृष्ट सर्वाणी मा कहलाई
वो पुर्शेतर एडी गीरी सावित्री मा कहलाई
अज्वेर मणी बंध कीरे कहित्री माता कहते है
काची अस्ति कीरी उससे देव करवा कहते है
MP में नितंब कीरा देव काली माई है
दूसरा नितंब जहां नर्मदा महां पाई है
यूपी छासी दाया पक्ष माता वो शिवानी है
मत्रा चुड़ा मनी गिरी उम्मा वो ववानी है
कन्या कुमारी उपरी चंत माता वो नारायनी है
निचले चंत गिरे जहां पराहिमा नारायनी है
बांगला जिसमें पाईल गिरी वो अपरना माता है
लडाख में वो पाईल गिरी शिरी सुन्दरी माता है
बंगाल बारी एडी गिरी वो कपल्डी माता है
बुझरात मा का उत्र गिरा चंदर मा का माता है
वो चैन मा के ओष्ट अवंती माता कहते है
नासित मेती ठोडी कीरी ग्रामरी माता कहते हैं
आंदर प्रदेश काल गीरे रागनी है माता वो
दक्षिन कंट गीरे फिस पेसरी है माता वो
बंगाल सकंत गीरा पुमारी देवी माता वो
बंगाल पैर की हंडी गीरी चलका देवी माता वो
करनाटेक दोनों कान जैदुर्गा देवी माता वो
बंगाल बसा मन मैसा मर्दनी देवी माता वो
बंगाल लापुर � ruin गिरे फुलरा देवी माता वो
बंगाल माता हार गिरा नंदिनी देवी माता वो
बिराट माती उंगली गीरी,म भी कमा कहते हैं
ए माझल जहाँ चर्ण पड़े , चिंतापूर्णी कहते है
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