तुम ठाकुर तुम पे अरदास जीयो पिंज सब तेरी रास
तुम मात पिताँ हम बालक तेरे तुमरी किरपा मैं सूक गनेर
कोई न जाने तुमरा अंतर उचे से उचा भगवन्तर
सगल समगरी तुम ते सूतर धारी तुम ते हो एस आज्याकारी
तुमरी गत मत तुमही जानी नानक दास सदा कुर्बानी
एक युंकार वाह घुरू जी की फते सिरी भगवती जी साहाई वार सरी भगवती जी की पाथशाही दस्वीं
पिरतन भगवती सिमर कै गुर्णान कले इन ध्याई फिर अंगत गुर्ते अमरदास रामदासे होई साहाई
अर्जन हर गोबिंदनो सिम्रो सृ हर राई, स्री हर कृशन ध्याई ये जिस दिठे सव दुख जाय
तेक बहादर सिमर ये घरनो निध आवे दाई सव थाईं होई साहाई
दस्वापाथशार स्री गुरू गोबिंद सिंग् साहेव जी सव थाईं होई साहाई
दस्वापाथशार स्री गुरू गोबिंद सिंग् साहेव जी स़िया ध्याई ते पभ्या धने होते हैं
पन्जा प्यारेया चोहा शाह्व जाधियां, चालियां, मुक्तियां, हटियां
दुर्शवर कीरतन आरती अनंद साहेव दी अरदास
अक्खरवादा घाटा भूल चुक माफ करनी सरबद देकार रजरास करने
सही प्यारे मेल जिना मिल्यां तेरा नाम चितावे
नानक नाम चड़दी कला तेरे बाने सरबद दा भला
बोल गुणानक देव की जैं
बोले सोनेहा सत्सिवियेव का वाई गुरुजी का खाल साथ वाई गुरुजी की फ़ते