ये मेरी जिन्दगी है, जिन्दगी है, इसमें देखो, लगा रहता है पहरा दूसरों का
बनी दपरी, न खाब पुरी
यो हो दो सास द
अपनी नहीं है, मेरी पहचान मुझसे अब नहीं है, ये कैसी जिन्दगी है, ये कैसी बंदगी है
ये जंजीरे मेरी राहों में आकर, मुझे पाधे खड़ी है, कहां वो दिन गए है, मेरे शम्के हसीतारों
में गुम्हू, मुझे खोलो किमे ना आशे ना एके लो बन्हू
मेरी पहचान मुझसे अब नहीं है, मेरी पहचान मुझसे अब ना एके लो बन्हू