आई कोकुल में पूतना उसका हुआ था पित्वन्स
हुआ पूतना का बद तरने लगा मानु कंस
जो भी भेजता असूर कोई आया नहीं लोट
सैना असूरों की खतम लगी कंसी ने चोट
बड़ी चिंता का तविश्य नन्ना बालक ना मर पाया
कंस ने किया आवहान एक रक्सस बहा आया
भेज बदलने में माहिर ऐसा माया भी असूर
रूप पकले का बुधरे उसका नाबका सुर
काना माखन खाने बैठे लाड करने लगी
मैया लेकी दोष्टों को संकृष्ण चराने आये
गईया भेज बदल कर वो असूर
काना को मारने आया किंतु विश्णु जी की आगे
किसी की ना चले माया धरा पूले कता पिश
एक बड़ा ही बिशाल किंतु काना समझ गए थे ये कंस की ही चाल
ऐसा देख के बिशाल बुगला डर गए कवाल
सब भागे ऐसे डर के मानो हुआ पुरा हाल
सब बोले काना भागो बरना पगुला खा जाएगा
कृष्ण बोले जो भी होगा आज देखा ही जाएगा
तुम जाओ सब भाग मेरी करना मत फिकर
मेरी माया के सामने इसका करना मत जिकर
काना आगे जैसे बड़े बुगला गया था निकल
स्वेम काल को निकल कर बुगला दिया था जी चल
किन्तु थोड़ी देर बाद बुगला जोर से चिलाया
काना पेट फाड करके देखो बाहर है जी आया
पेट जैसे फटा आसुर का वो कया था जी मर
कुछ दिन और जी लेता गो कुलाता ना आगर
सब मित्र थे परसन काना लोट बापिस आया
थोड़ी देर बाद बुगला असली रूप में था आया
एक नन्ने से बलकी देखो हुई जैजेगार
मुर्क कंस एक बार फिर से गया था जी हार
काना मृत्यू है कंस की उसको करना है सविकार
मतुरा जाकर कृषिन करेंगे अब कंस का उधार
मुर्क कंस का उधार
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