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Radha Choudhary
Beta Kehke Kaise Bolu Ghar Ka Bujha Chirag Sant Ji

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आये महरवानों ये रागनी किस्सा होगा राजा मोरधज मौका उस समय से कि जब राजा मोरधज और राणी विद्याधरनी दोनों अपने बेटे के चीर करके दो फाड कर देते हैं
उधर संत ये कहते हैं कि महराज हम आपके यहाँ पर भोजन तब करेंगे जब आप अपने बेटे को आवाज दोगे आपका बेटा भी हमारे साथ में भोजन करेगा
राणी विद्याधरनी हाथ जोड़ करके बैठ गई कहने लगी संत महत्मा अभी आपकी आखों के सामने हमने अपने एकलोते बेटे को चीर के सिंग की भेट चढ़ाया है
राणी विद्याधरनी हाथ जोड़ करके बैठ गई कहने लगे
राणी विद्याधरनी हाथ जोड़ करके बैठ गई कहने लगे
लुटी मेरी माया
सुत के उपर आरा चल गया
मात पिता का हिर्दे हल गया
मेरे लेखे सूरज ढल गया
मत ना उगलो आग मेरे
मात पे बेटा चिरवाया
बेटा कहके कैसे बोलू घर का भुझा
रे चिराग संत जी लुटी मेरी माया
सुत के उपर आरा चल गया
सुत के उपर आरा चिरवाया
अकल नहीं कर सकूं भलाई
घर पे भोले काग सामने
बेटा मरवाया
हो रे बेटा कहके
कैसे बोलू
घर का बुझा रे चिराग
संत जी लुटी मेरी माया
कैसे भी
भीर धरे बहु मेरी
सुतने खा गया
बने का चहरी
आपती ने नगरी घेरी
उचड हो गया बाग
कहर महलों में बरसाया
हो रे बेटा कहके
कैसे बोलू
घर का बुझा रे चिराग
संत जी लुटी मेरी माया
मेरी माया
होगी बोटी बोटी वाणी मत ना बोलो खोटी
बिरजपाल सिंग बात ना छोटी
करुणा से भरा राग राधा ने मुशे किल तै काया
होगी बोटी बोटी बोटी
बिटा कहके कैसे बोलो घर का बुझा रे चिराग संत जी
लुटी मेरी माया
लुटी मेरी माया
उधर संत ये कहते हैं कि महराज हम आपके यहाँ पर भोजन तब करेंगे जब आप अपने बेटे को आवाज दोगे आपका बेटा भी हमारे साथ में भोजन करेगा
राणी विद्याधरनी हाथ जोड़ करके बैठ गई कहने लगी संत महत्मा अभी आपकी आखों के सामने हमने अपने एकलोते बेटे को चीर के सिंग की भेट चढ़ाया है
राणी विद्याधरनी हाथ जोड़ करके बैठ गई कहने लगे
राणी विद्याधरनी हाथ जोड़ करके बैठ गई कहने लगे
लुटी मेरी माया
सुत के उपर आरा चल गया
मात पिता का हिर्दे हल गया
मेरे लेखे सूरज ढल गया
मत ना उगलो आग मेरे
मात पे बेटा चिरवाया
बेटा कहके कैसे बोलू घर का भुझा
रे चिराग संत जी लुटी मेरी माया
सुत के उपर आरा चल गया
सुत के उपर आरा चिरवाया
अकल नहीं कर सकूं भलाई
घर पे भोले काग सामने
बेटा मरवाया
हो रे बेटा कहके
कैसे बोलू
घर का बुझा रे चिराग
संत जी लुटी मेरी माया
कैसे भी
भीर धरे बहु मेरी
सुतने खा गया
बने का चहरी
आपती ने नगरी घेरी
उचड हो गया बाग
कहर महलों में बरसाया
हो रे बेटा कहके
कैसे बोलू
घर का बुझा रे चिराग
संत जी लुटी मेरी माया
मेरी माया
होगी बोटी बोटी वाणी मत ना बोलो खोटी
बिरजपाल सिंग बात ना छोटी
करुणा से भरा राग राधा ने मुशे किल तै काया
होगी बोटी बोटी बोटी
बिटा कहके कैसे बोलो घर का बुझा रे चिराग संत जी
लुटी मेरी माया
लुटी मेरी माया
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