समझदारी सत्संग से आती है
कम से कम पाँच चोपाई रोज मानस की पढ़लो
दो चार इश्लोक गीता के पढ़लो
और राजनिती भी करना तो भी पढ़ो अध्यन को
मंच पर जब खड़े हो बोलने के लिए
कम से कम आधे घंटे के भाषण में दो तीन इश्लोक बोलो
दो चार चोपाई बोलो
कभीर पंथी इलाका है तो दो चार कभीर की दो है बोलो
तुम्हें चतुर बना दोना वे
कैसे भाषण करना है
और पचास कहानी भी याद रखो छोटी छोटी
वो भी बीचम लगा दो
भाषण का सरंगार कर दो
उपनिशद का भी एक मंत्र बोल दो
कोई कठिन नहीं है
हम से ज़्यादा बुद्धिमान तुम सब लोग हैं
हम बुद्धिमान बुद्धिमान नहीं है
तुम्हारे पास हम से ज़्यादा बुद्धि है
हमरे पास तो कोई जनजाल है नहीं हम तो सब जाल वाल थोड़ ताड़ के अलग हो गए हाँ
तुम तो नया नया जंजाल रोज तैयार करते हो तुम जाल बनाने में बड़े होश्यार ही तुम पूर्व जनम के मकड़ी मकड़ा
रोज नया जाल बुनते हो उसे फसते हो और दूसरों को भी फसाते हो
अब इस जनम में तुम मनुष्य के रूप में पैदा हुई हो लेकिन जाल बनाने की कलाब भी जारी है
ग्रह कारच नाना जनजाला तेयत दुर्गम सेल विशाला
शंत जीवन जीना बहुत आसान है बहुत आसान है बहुत सुख है बड़ी निष्चंतता है बड़ा आननद है
ग्रिष्टी का भार उठाना बहुत ही कठिन काम है
ये रहमाने भी इसको प्रमानीत करती है
ग्रह कारच नाना जनजाला
मामं गलारता father
आप दुकान खोलते हो उसमें हजारों आइटम सबका रेट मालूम सबकी डेट मालूम समय कितना प्रोफेट होता वह भी
मालूम है हजारों शामान तुम याद रखते हो कौन कहां रखा है यह कोई कम बुद्धि है हम तो कोई दुकान नहीं
बोले हमें कोई सामान याद करने नहीं पड़ता हमारे में तो जो इस लोग याद करो जिंदगी पर वहीं है बदलेगा नहीं
है तो ग्रेष्ट आश्रम बहुत मेहनत का आश्रम है इसलिए आपका मनोबल कभी कम नहीं हो सत्संग सुनते रहो भक्ति
रहो क्योंकि यह बहुत भार है तुम पर यह शाधरण नहीं है यह भार त्योहार बनना चाहिए बाहर बनना चाहिए इस भार
के बीच में तुमको होनभार होना चाहिए ताकि इस भार को उठा सको और सफलता का दवार खोल सको ग्रह का रजिना एना जन्जाला
शान सद को उपर लई आओ
माई कदे कर कुछ सुनवाओ