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V.A
Bhagwan Ki Bhakti Ka Bhaw Kaise Hona Chahiye

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मेरा पता लगा क्या पति देव कहां चले गए का बाबा हो गए है वह तो छोड़कर घर भाग जाओ
ना पहले बात तो ऐसा करना नहीं चाहिए अगर अगनी के साथ पहरे ले करके आपने जो प्रतिग्यां की है retour
तो कभी किसी व्यक्ति को ऐसा करना नहीं जाए और माल लीजिए अगर हो भी जाए तो बाबे हुए हैं डखेट
थोड़े हुए हैं आपको प्रसन्न होना चाहिए तो हां अ भागिना ही वहां से मैदि का देव होती देव होती सेवा
सेवा करने लगी और गुरुजी थोड़े दिन तक वह समाधी में नहीं रहे कई हजार वर्षों तक समाधी में रहे भागवत तो
कहती है कि अन्ने पुना भगवतों ब्रहु जिब्रह्म बीमा ना होता है ना बीमा जो दीमक वाला वह उनके सरीर में लग गया था
कि माराज देव होती खूब सेवा करते थे एक दिन माराज अचानक से उनके नेत्र खुले और समाधी में इतने डूब गए थे
जब नेत्र खोला ना तो सामने देव होती को देखा तो पूछा देवी तुम कौन हो तो गुस्सा नहीं हुई कि बताओ हमारी को बोल गए
निशन होगी क्यों इसको क्योंकि हमारे पति जो करते हैं सही से करते हैं जैसे पूजा जब करो न एक कई
मिनट की करो तो ठीक है एक मिनट की करो लेकिन जब करो तो पूजा करो अभि राहि की माला भी चल रहा है मोबाईलर चल रहा है
कह दून एक संघ होई भुआलू हां सब थे ठाप पुदा उपगालू
कर दो कि प्रशन होई अब उन्होंने याद दिला है मुझे मुझे भूल गए हां अरे का मैं समराठ मनु की करने और याद आया
छमा मांगे का भगवान को आना है हमारे तुम दोनों के मिलन से तुरंत सुगदेव स्वामी कहते हैं परिक्षित प्रेजाजा
प्रियमंचिन्न करदम योग मां स्रिता अपने तपस्या के बल से महाराज कामक नामक विमान की रचना की और जैसे ही
वह सरस्वती नदनी में इसमान किया ना देवहुति ने वह सुंदर जो है योवन को प्राप्त हो गई इतना बड़ा विमान है कि विमान के बिसे में आपको क्या बताएं बगीचे
सुन्दर भोजनाल आउशधाल खेलने का स्थान गाने का स्थान लेटने का स्थान और काम अग्नाम मन की गति से चलता
था और उसको कुछ कहना नहीं पड़ता था आप मन में सोच लीजिए कि चित्रकूट चलो तो जितना आपको मन से चित्रकूट
सोचने में समय लगेगा बस उतना ही टाइम लगता था पहुंच गया है कि महाराज पूरे ब्रह्मान्द का ध्रमण किया
नौ-नौ कन्याओं की प्राप्ति में लौट करके आए एक दिन कर्दम जी महाराज ने मन में विचार किया कि बताओ आए थे
यह हरी भजन को ओटन लगेगा पास फस गए ना कहां भजन करते थे कहां यह घर के चक्कड़ में फस गए बस अचानक से
बैराग्य जगह तुरंत ही लेकर के कमंडल चलते हैं ध्यान रहे जब बैराग्य जगह ना तो अचानक जगह तो तुरंत है उसका
तो उठा लो अगर एक कौन छण आपने देर किया तो समाप तो जैसे कभी-कभी होता है ना कि हम सत्य नारायण की कथा
सुनेंगे तो जैसे मन में आवे फिर बिना कुछ सोचे समझे पंडित जी को सहेज के बिल्कुल परसाद की व्यवस्था करें डालो
अगर एक को दिमाग में आया कि कथा सुनेंगे अफिर आधे घंटे बाद आएगा कि कहो कथा सुनेंगे तो पंडित टीए
को बुलाए लें उनको कह दे उनको कह दें फिर कहें बहुत छाम का काम है छोड़ो अब अब की रहने के दूसरे के
तो गुरुजी की तरीके साथ ही होते हैं कि आप भले ठिलात रहा हो कि जैसे ही बैराग्य उत्पन्न हुआ तुरंते
माराज तैयार हो गए जाने के लिए पर जब चन्ने लगे तो देव होती ने पकड़िया कहां माराज काम जा रहे हैं
अरे कहा यह नो नो कन्या जानते हो करदम जी के आंखों में आशिर आगे का पता है मुझे भगवान ने कहा था कि मैं
तुम्हारे पुत्र के रूप में जन्म लूंगा आप से ऐसा कहता हूं का मैं तु धन्य हो गई तुम्हारे जैसे पति को पाकर
लेकिन है प्राणनाथ अगर तुम चले जाओगे तो प्रभु की मां बनने का शोभाग्य में प्राप्त नहीं कर पाऊंगी इतना
ही सोच करके जब बाद में उन्होंने एक सद्ध ऐसे कहे का आपकी तपस्या में तो कोई दिक्कत है नहीं लगता है मुझे
ही कोई कम है इतना सोच करके जब पश्चा ताप की अत्ताप भागवत कहती है मां खिदो राज पुत्री तप अमात्मानम प्रति निंदिते
कि भगवास्ते एक छरो गर्ब मधुरात्म सप्रपस्यति मां खिलो
राज पुत्री अगर कहें तो जरूर आए तो आप भी रुख जाइए ना दोनों लोग रुख गए उसके बाद भागवत कहती
तस्या बहुति थे काले भगवान वाद रायणा करदम अंबीर्यम आपनों यज्ञ यज्ञ विदारणी माराज देखते ही देखते
हैं जैसे अननी मंथन में अग्नी अचानक से प्रगट हो जाती है वैसे देखते हैं देखते हैं करदम जी के यहां
मां देव होती के गर्भ से भगवान कपिल देव जी का अवतार होता है बोलिए कपिल जी महाराज की जय हो
ना पहले बात तो ऐसा करना नहीं चाहिए अगर अगनी के साथ पहरे ले करके आपने जो प्रतिग्यां की है retour
तो कभी किसी व्यक्ति को ऐसा करना नहीं जाए और माल लीजिए अगर हो भी जाए तो बाबे हुए हैं डखेट
थोड़े हुए हैं आपको प्रसन्न होना चाहिए तो हां अ भागिना ही वहां से मैदि का देव होती देव होती सेवा
सेवा करने लगी और गुरुजी थोड़े दिन तक वह समाधी में नहीं रहे कई हजार वर्षों तक समाधी में रहे भागवत तो
कहती है कि अन्ने पुना भगवतों ब्रहु जिब्रह्म बीमा ना होता है ना बीमा जो दीमक वाला वह उनके सरीर में लग गया था
कि माराज देव होती खूब सेवा करते थे एक दिन माराज अचानक से उनके नेत्र खुले और समाधी में इतने डूब गए थे
जब नेत्र खोला ना तो सामने देव होती को देखा तो पूछा देवी तुम कौन हो तो गुस्सा नहीं हुई कि बताओ हमारी को बोल गए
निशन होगी क्यों इसको क्योंकि हमारे पति जो करते हैं सही से करते हैं जैसे पूजा जब करो न एक कई
मिनट की करो तो ठीक है एक मिनट की करो लेकिन जब करो तो पूजा करो अभि राहि की माला भी चल रहा है मोबाईलर चल रहा है
कह दून एक संघ होई भुआलू हां सब थे ठाप पुदा उपगालू
कर दो कि प्रशन होई अब उन्होंने याद दिला है मुझे मुझे भूल गए हां अरे का मैं समराठ मनु की करने और याद आया
छमा मांगे का भगवान को आना है हमारे तुम दोनों के मिलन से तुरंत सुगदेव स्वामी कहते हैं परिक्षित प्रेजाजा
प्रियमंचिन्न करदम योग मां स्रिता अपने तपस्या के बल से महाराज कामक नामक विमान की रचना की और जैसे ही
वह सरस्वती नदनी में इसमान किया ना देवहुति ने वह सुंदर जो है योवन को प्राप्त हो गई इतना बड़ा विमान है कि विमान के बिसे में आपको क्या बताएं बगीचे
सुन्दर भोजनाल आउशधाल खेलने का स्थान गाने का स्थान लेटने का स्थान और काम अग्नाम मन की गति से चलता
था और उसको कुछ कहना नहीं पड़ता था आप मन में सोच लीजिए कि चित्रकूट चलो तो जितना आपको मन से चित्रकूट
सोचने में समय लगेगा बस उतना ही टाइम लगता था पहुंच गया है कि महाराज पूरे ब्रह्मान्द का ध्रमण किया
नौ-नौ कन्याओं की प्राप्ति में लौट करके आए एक दिन कर्दम जी महाराज ने मन में विचार किया कि बताओ आए थे
यह हरी भजन को ओटन लगेगा पास फस गए ना कहां भजन करते थे कहां यह घर के चक्कड़ में फस गए बस अचानक से
बैराग्य जगह तुरंत ही लेकर के कमंडल चलते हैं ध्यान रहे जब बैराग्य जगह ना तो अचानक जगह तो तुरंत है उसका
तो उठा लो अगर एक कौन छण आपने देर किया तो समाप तो जैसे कभी-कभी होता है ना कि हम सत्य नारायण की कथा
सुनेंगे तो जैसे मन में आवे फिर बिना कुछ सोचे समझे पंडित जी को सहेज के बिल्कुल परसाद की व्यवस्था करें डालो
अगर एक को दिमाग में आया कि कथा सुनेंगे अफिर आधे घंटे बाद आएगा कि कहो कथा सुनेंगे तो पंडित टीए
को बुलाए लें उनको कह दे उनको कह दें फिर कहें बहुत छाम का काम है छोड़ो अब अब की रहने के दूसरे के
तो गुरुजी की तरीके साथ ही होते हैं कि आप भले ठिलात रहा हो कि जैसे ही बैराग्य उत्पन्न हुआ तुरंते
माराज तैयार हो गए जाने के लिए पर जब चन्ने लगे तो देव होती ने पकड़िया कहां माराज काम जा रहे हैं
अरे कहा यह नो नो कन्या जानते हो करदम जी के आंखों में आशिर आगे का पता है मुझे भगवान ने कहा था कि मैं
तुम्हारे पुत्र के रूप में जन्म लूंगा आप से ऐसा कहता हूं का मैं तु धन्य हो गई तुम्हारे जैसे पति को पाकर
लेकिन है प्राणनाथ अगर तुम चले जाओगे तो प्रभु की मां बनने का शोभाग्य में प्राप्त नहीं कर पाऊंगी इतना
ही सोच करके जब बाद में उन्होंने एक सद्ध ऐसे कहे का आपकी तपस्या में तो कोई दिक्कत है नहीं लगता है मुझे
ही कोई कम है इतना सोच करके जब पश्चा ताप की अत्ताप भागवत कहती है मां खिदो राज पुत्री तप अमात्मानम प्रति निंदिते
कि भगवास्ते एक छरो गर्ब मधुरात्म सप्रपस्यति मां खिलो
राज पुत्री अगर कहें तो जरूर आए तो आप भी रुख जाइए ना दोनों लोग रुख गए उसके बाद भागवत कहती
तस्या बहुति थे काले भगवान वाद रायणा करदम अंबीर्यम आपनों यज्ञ यज्ञ विदारणी माराज देखते ही देखते
हैं जैसे अननी मंथन में अग्नी अचानक से प्रगट हो जाती है वैसे देखते हैं देखते हैं करदम जी के यहां
मां देव होती के गर्भ से भगवान कपिल देव जी का अवतार होता है बोलिए कपिल जी महाराज की जय हो
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