ये मन चिते च्यान यूवी राज असी
सामन का महिना यो आया रै मन उक साया चाला जा मैं भी हरी द्वार में
घर बैठा अकेला मैं सोचू ना बाबू मेरा धर देखू संड एक अधा प्यार मैं
सामन का महिना यो आया रै मन उक साया चाला जा मैं भी हरी द्वार में
घर बैठा अकेला मैं सोचू ना बाबू मेरा धर देखू संड एक अधा प्यार मैं
मेरी बेपे भी लाड लडारी मनेनू बतारी पड़ेगा परशाद बनना
मैं तो लियाया बांग का लडू ना लाये भुड़े वार खान में
सामन का महिना यो आया रै मन उक साया चाला जा मैं भी हरी द्वार में
मेरी माने ये अब बनाये ना मूल के आये साथों में वाँ मिलवाये
मेरी माने ये अब बनाये ना मूल के आये साथों में वहाँ मिलवाये
बेवा मिलवाए खोड़े चकके लगे हैं बता कैसे स्वाद आया किसा खान में
सामन का महिना यो आया रे मन उपसाया चाला जा मैं भी हरी द्वार में
रविराज भी होया बोला तु दरशंदे थोड़ा छाले भी बढ़े मेरे पाउ में
तु आजान भोले भंदारी नवार लाये इबू आन में
सामन का महिना यो आया रे मन उपसाया चाला जा मैं भी हरी द्वार
सामन का महिना यो आया रे मन उपसाया चाला जा मैं भी हरी द्वार में