बुद्धं सरणंग चामी, धम्वं सरणंग चामी, संघं सरणंग चामी।
करुणा जिसके दिल्मे होनित, दया प्यार से मनो प्रफुलित।
करुणा जिसके दिल्मे होनित, दया प्यार से मनो प्रफुलित।
चान गया हो अपने आपही, पर दुख जोडिन से।
वोही तो बुद्ध की है पहचान
प्रीत बाट कर एक दूजे को प्रीत ही जो लेता है
प्रीत ही जो लेता है
दिपत काल में घिरे हुए को
जो सेवा लेता है
जो सेवा लेता है
दिन्दुखियो की सेवा को जो माले नही तहसाम
वोही तो बुद्ध की है पहचान
वोही तो बुद्ध की है पहचान
वोही तो बुद्ध की है पहचान
। बुद्ध की हैं पहचार।
निर्भय सदा करे।
साहस को भी और बढ़ा दे। साहस अदा करे।
साहस अदा करे।
साहस अदा करे।
मंगलता का स्विकार करके जो करता सम्मान।
वोही तो बुद्ध की है पहचार।
बुद्ध की होटा चिन चेर।
दिर्भाते की कर।
दिर्भाते वो प�baar करे।
बुद्धोन न dese पई चात्र।
अच्छा कि चात्र।
मंगलता को भी उटक छूँ।
भी उटक छूँ।
पर भर्णता चेहर।
पर भर्णता चेहर।
पर भर्णता चेहर।
भले बुरे की अहचानों की चाह सिखाए जो
कर्व त्याग कर मिले सभी से दूर करे अज्ञान
वोही तो बुद्ध की है पहचान
वोही तो बुद्ध की है पहचान
वोही तो बुद्ध की है पहचान
वोही तो बुद्ध की है पहचान
वोही तो बुद्ध की है पहचान
करुणा जिसके दिल में हो नित तया प्यार से मन हो प्रफुलित चान कया हो अपने आप ही पर दुख जो इनसाम
वो ही तो बुद्ध की है पहचार
उठ्धं सरणंग चामी धंवं सरणंग चामी
संघं सरणंग चामी
उठ्धं सरणंग चामी धंवं सरणंग चामी
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