चाहत के हद है न कोई कहीं
हम तो बस यूँ ही इस आशिकी में सोचते हैं एक दिन
जब दिन शुरू हो तुम से वो क्या ही होगा
क्या तेरा दिल तब भी होगा मेरा
या तुमको याद रहेगा ना जो बादा किया तुमने
वो जो 26 की उस रात को हम मिले
सर्द थी बेफिकर सी राही चली लापता
ओश हुए कब तो नहीं आद बस जब तुम ये कहने लगी
मेरी जान मुझे लेजाए यहां से कहीं भी किसी दूर सी जगापे
बस तुम हो और मैं हूँ और कोई पिना तुम हो जिसको ता मांगा दूआ
हूँ में अब दूर ना तुम जाना बस मेरी ही रहना हो हर पल जड़ जना
मेरी दूआ हो
जिसे मंगा हो
दो पल की दोरी भी ना मैं सहूँ पर फिर
भी वक्त गुजानूँ तेरी आदो को मिले कर
वो जो 26 की उस रात को हम मिले छोरी सी नजरे मिलते कभी
अब तो ना हटती है आँको में खो जाओं तेरी
बस जी लिया है जान लो तेरे लिए यार करना सीख लेंगे
हस के मान लेंगे सारी तेरी खाइशे जोंगी वो मैं करूँ पूरी तेरे लिए
मेरी जाना मुझे ले जाया हसे कहीं भी किसी दूर सी जगापे
बस तुम हो और मैं हूँ और कोई भी न तुम हो भी जिसको था मांगा दूआ
में अब दूर न तुम जाना बस मेरी रहना हो हर पल जन जना मेरी दूआ
जिसे मांगा
दो पल की दोरी भी न सहूं मैं
दो पल की दोरी भी न सहूं मैं
मैं तुझको हर दूआ में मांगू
मेरी जाना तुझे ले जाओ यहां से कहीं भी किसी दूर सी जगापे जहां
पे बस तुम हो और मैं हूँ और कोई भी न तुम हो भी जिसको था
मांगा दूआ में अब दूर न तुम जाना बस मेरी रहना हो हर पल जन जना
में हूआ
हो
जिस मंगा हो