कहां चला ऐ मेरे जोगी
जीवन से तू भाग के
किसी एक दिल के कारण
यू सारी
दुनियां दियाग के
छोड़ दे सारी दुनियां किसी के लिए
ये मुनासिक नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी
जुरूरी कई काम है
प्यार सब कुछ नहीं जिन्दिगी के लिए
छोड़ दे सारी दुनियां किसी के लिए
तन्तर पर प्यार के लिए
तन्तर पर प्यार के लिए
छोड़ दे सारी दुनियां किसी के लिए
ये मुनासिक नहीं आदमी के लिए
छोड़ दे सारी दुनियां किसी के लिए
कितनी हसरत से तकती है कलियां तुम्हें
क्यूं बहारों को फिर से बुलाते नहीं
एक दुनिया उजड़ी गई है तो क्या
दूसरा तुम जहां क्यूं बसाते नहीं
दिल ना चाहे भी तो साथ संसार के
चलना पड़ता है सबकी खुशी के लिए
चोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिक नहीं आदमी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
जाड़ दे सारी दुनियाओं किसी के लिए
सब में यादों के दिल को रुलाते रहे
फिर भी राहों में जीवन की चलते रहो
लाख गुमनों हो मन्जिलों के निशाओं
ठोक रेखा के फिर भी समलते रहो
बदले अमिरत के गर जहर मिलता है जो
पीना पड़ता है बस दोस्ती के लिए
छोड़ दे सारी दुनियाओं किसी के लिए
ये मुनासिक नहीं आदमी के लिए