आउटती हर रोज, किसी को क्या पड़ी
क्यों जीओं मैं जो लगता ना सही
आत्मा कहीं तो जाते होगी, आख खोल
मीरी तो है खोली
मुझे को सब है दिखता, सब है बिकता भावनाएं
मर चुकी ना मनो विकार है ये बस मैं सुन पड़ी
सुन सुनाई देंगी चींखें,
गुट गुट के मर रही है प्रकरती है प्रकरती
दिखते कटिते बुर्गे, रेप कुट्टों का फीक नशों की,
प्रेम जिस्मों का आजनी ते देश बिक चुका इकज़त मुर्दों की,
कतल अपनों का
लालच में डूबा,
हाँ है तू शेतान लालच में डूबें अब ऐसे जिये कौन
पो पानती अवरिग vyapti avirig
सदतࣨ पैसा,
सदतू गुरूर,
सदतु नाशा,
सदतू सु�RIA,
हम वासे भी फसे हैं
तेरई ही माया में,
माया में,
तेरई ही काया में,
काया में ?
फिर मैं सोचु,
इसन तो पैदा नहीं होता,
इस आये में मैं हूँरो ratters वो इन्सान
काम भी काम भी चपून
साल मुझे पंज ही रखा है
मुझे तकर विपचанию
199 अगर भी to
सच Sheng
नबख मर ♥ बहतीchen
अक्छी money
तान वे हर जगा...
तुमें काली कमरे में...
तान वे हर जगा...