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Dar Panjtan Pe
Zaheer Abbas Faridi
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Lyrics
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दरे पंजतर
पे जुकता
जा रहा है।
दरे पंजतर पे जुकता
जा रहा है।
दरे पंजतर पे जुकता
जा रहा है।
ये दिल उठ से।
मदर भाई यादर भाई मेरे हल।
ये दिल उठ से। मदर भाई यादर भाई
मेरे हल।
दरे पंजतर पे जुकता जा रहा है। दरे पंजतर पे जुकता जा रहा है।
दरे पंजतर पे जुकता जा रहा है। ये दिल उठ से। मदर भाई यादर भाई मेरे हल।
बहुत आलाय है। ये तो थोड़ी शार बढ़ा जो बस।
जल्दी समान पूरा कर यार मैं शेर देना हूँची बोलो सुवाद अल्लाद।
यदी जितले पहरे दे रहे हैं।
ये जिकर उतना।
यदी
जितले पहरे दे
रहे हैं।
ये जिकर उतना।
बढ़ता जा रहा है।
यदी
जितले पहरे
दे रहे हैं।
थोड़ो जय इतना आओ तो सीज़।
ये जिकर उतना।
लई घैंग दे रहे हैं।
एक प्यासा हूँ
बला क्यूं करबला में
करबला में
नभी जिसको
जुबाँ चुसवा
वो प्यासा हो
थोड़ा जा बैक बढ़ा हो जराँ
वो प्यासा हो
बला क्योँ करबला में
वो प्यासा हो बला क्यों करबला में
वोसेन आले हाथ खड़ा करो जड़ा
और करम की उससे
क्यों न ला लगाओ
जमाना जिसें के टुकडे खा
रहा है
आज रखना
तिरी तौसी
लिखना चाँ
यह तौटा बहुत अच्छा कहना
मेरे दिन करोणा नालो बारा है
यह सलाम पिश करना ते तौटे दूम जौगनमी सलाम है
चलो नजर ते तौटी यह दरेजी दी सुवान लायेओ
कभे सुवान लायेओ?
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Artist
Zaheer Abbas Faridi
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