दश्टे तन्हाई से अब कौन निकाले मुझे को
दश्टे तन्हाई से अब कौन
निकाले मुझे को
खो गए वो भी जो थे ढूणडने वाले मुझे को
खो गए वो भी जो थे ढूणडने वाले
मुझे को
दश्टे तन्हाई से अब कौन निकाले मुझे को
चंद लम्हों की मसरत भी बहुत होती है
चंद लम्हों की मसरत भी बहुत होती है
चंद लम्हों के लिए दोस्त बनाले मुझे को
दश्टे
तन्हाई से अब कौन
निकाले मुझे को
चंद अश्कों में सिमट जाओ
कहा मुकिन है
चंद अश्कों में सिमट जाओ कहा मुकिन है
समंदर
जो कोई हो
तो समभाले मुझे को
समंदर जो कोई हो
तो समभाले मुझे को
दश्टे तन्हाई से अब कौन
निकाले मुझे को
जहन रोशन है मीरा मैं हूं अन्धेरों में फराज
देख सकते नहीं दुनिया के उजाले मुझे को
देख सकते नहीं दुनिया
के उजाले मुझे को
तन्हाई से अब कौन निकाले मुझे को
खो गए वो भी जो थे ढूडने वाले
मुझे को
दैश्टे तन्हाई से अब कौन
निकाले
मुझे को