ये सुरेष गोधारा और सोनु गोधारा निव बालाजी भजान लूजिक बाई दोवेंदर देव
साला सर मैं पेदल चलके आया बालाजी
साला सर मैं पेदल चलके आया बालाजी देते दरसन मेरा मन लल चाया बालाजी
साला सर मैं पेदल चलके आया बालाजी देते दरसन मेरा मन लल चाया बालाजी
तेरे दरपे बाबा जो कोई आवेशे काली थोड़ी बरके बाबा चावेशे
तुर भी नु बोले ना कुछ भी पाया बालाजी देते दरसन मेरा मन लल चाया बालाजी
तुर भी नु बोले ना कुछ भी पाया बालाजी दरसन मेरा मन लल चावेशे
सचे मन से जो कोई बाबा ध्यावेशे सब कुछ मिल जे बगताने जो चावेशे
आननद हो जा जीवन में जे आजा बालाजी देते दरसन मेरा मन लल चाया बालाजी
जाम तरे का जिसका मन लागया बालाजी शाला सर का मंदिर मन मेरा भागया बालाजी
जाम तरे का जिसका मन लागया बालाजी शाला सर का मंदिर मन मेरा भागया बालाजी देखन जोगा रूप तरा यो भाया बालाजी देते दरसन मेरा मन लल चाया बालाजी
तुरेश गोधारा गधड़ी तर पे आवैसे सोनु गोधारा भी भुची मनावैसे
दरसन गधड़ी का भी नाम सुनाया बालाजी देते दरसन मेरा मन लल चाया बालाजी