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Dhadkanon Ke Saaz Par Kya Gaa - 1
Mukesh
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Lyrics
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धड़कनों के साज पर क्या गा रही है जिन्दगी
धड़कनों के साज पर क्या गा रही है जिन्दगी
कारवां बन कर गुजरती जा रही है जिन्दगी
धड़कनों के साज पर क्या गा रही है जिन्दगी
गर्दिशे शामो सहर कुछ भी नहीं एक पाब है
गर्दिशे शामो सहर कुछ भी नहीं एक पाब है
इन खिलोनों से हमें बहला रही है जिन्दगी
कारवां बन कर गुजरती जा रही है जिन्दगी
धड़कनों के साज पर क्या गा रही है जिन्दगी
गर्दिशे शामो सहर कुछ भी नहीं एक पाब है
गर्दिशे शामो सहर कुछ भी नहीं एक पाब है
गर्दिशे शामो सहर कुछ भी नहीं एक पाब है जिन्दगी
धड़कनों के साज पर क्या गा रही है जिन्दगी
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Artist
Mukesh
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