हम निशा पांडेलावर सबके बीच में एक बहुत बड़ा दुख लेके आएल वानी
कैसा दुख बाई जी?
इचार के दुख बाई
मेहरारू के दुख बाई जुजी तोरा ना भुजाई
हम हो मेहरारू बाई हुई
महिरार्वाला बहूना लगी लिक्केणी दुख जो है ये महिरार्वाला बूजबाई
रुई नाते तुई
कहल बा ये कहावत बा
ये महिरार्वाला अपन भाव कैसे कहती है
बिरेंदर जी औिकरा के छोड़ के चल गईेल बाडे
सुनिल जी से कहा तारी सुनिल जी से कहा तारी जाना तारी ठंडी के दिन में जाड कैसे जाला
तारी ठंडी के दिन में जाड कैसे जाला
तारी ठंडी के दिन में जाड खुद रுइ ठुशल पढ़िया एगो मुटहर 사�ए psychelujah जाड खुद रूँ ठुशल पढ़िया एगो मुटहर
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जब से गईला तू कमाए के भिलाई राजा जी
जाए जात नाइखे उड़लों से रजाई राजा जी
मूर्ख ली लिया।
एक ट्रैक्स ऐड ग्रास वाधा सिंगर अपने फिर मिल सकता।
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जाता संया शाथरी
मूर्ख ली लिया राजा जी
सूतर वसिहरने उठे बागे से तला हरी
कापिला करे जाचवा जाता सैया हारी
दूर रहके नाहे हमके तड़पाई ने राजाजे
जाड़ जात नैखे उड़लों से रजाई राजाजे
एजी बड़ा जुलम भाईल बा
एक दर ठंडी बढ़ता अपाईसे हवा चलता
बॉल ताटे जाड़ा अपड़ा जुलम भाईल बाटे
ओहू में सोनने सोनने हवा चलता ते
इस विल्लाठा कुछ लिखे बाद भाही बाद जूलम भाईल बाद पाले
पारत बाते जाना काड़ा जुलुम भाईल बाते
ओगुम सोनन सोनन हावा चला ताटे
कुछ दिन्दा विहारों में बिताई राजाजी
जाड़ जात नाईखे उड़लों से रजाई राजाजी
रवा बुझत नाईखी हमरा के कितना तकलीफ होता
जानत नाईखी हम अकेला सूत नाईखी पाइला
जाड़ में नीद ना भेला सुनी नाईखी
जल्दी वापस आ जाए
हमार दुख बुझी अरवध कह देता नी
कि आ जाए ना तो सुनली ही एदवा पारी बहुत बुरा हो जाए
हमना से कुछ हो जाए तो हमना बोली हमार
आई कैसे कहा तानी
आई कैसे कहा तानी
सारी दी कैसी तमणाई, नीशा से सहाई, लेके छुट धार म्याई, नेगिया नुटाई
सारी दी कैसी तमणाई, नीशा से सहाई, लेके छुट धार म्याई, नेगिया नुटाई
लेके बहीया, कितना याद आवता तो हाई, कैसी कहे हम तो कि
ठंडी के दिन में
ठंडी के दिन में
शुबहम जी के मेहरारू आगल बाड़ी, हमारा द्वी हमना से दूर बाड़े, छतिस गण में का करता राजी, जल्दी चल आई ना
लेके बाही या मैं हमके तसुताई नी राजा जी, सुनी ना
लेके बाही या मैंें का हमके तसुताई नी राजा जी, चाड़ जा कनाई खे अउंधलों से रजाई नी राजा जी
जब ते काई ला तू कमाई भिलाई ही राजा जी
जब ते काई ला तू कमाई भिलाई ही राजा जी
जड़ जात नाइखे उड़लों से रजाई राजा जी
जड़ जात नाइखे उड़लों से रजाई राजा जी
जड़ जात नाइखे उड़लों से रजाई राजा जी
शरीर की गर्मी चैहता आजानत नहीं खा
इद गर्मी जोन मिलेलानू वो
ये कही ना
करते हैं