तेरे चेहरे की वो हसी मैं ढूंढता रहता हूँ
मुझे मिलती नहीं है इस जहां में
तेरे चेहरे की हसी मैं ढूंढता रहता हूँ
मुझे बस मिलती नहीं है इस जहां में
करो बाते नहीं मैं तो राते नहीं
जो विकाटे हमने गम साथ नहीं
मैं तो करना चाहूँ तुमसे कितनी
बाते अभी और होने लगी क्यूं है
ये अब राते अभी मैं तो सुना नहीं
चाहता हूँ या सुने ही पहता हूँ
कैसे तुमको बताओ मेरे मन में क्या
चलता है तुमको कैसे मैं समझाओ
तुमको कैसे ये बताओ कि समय नहीं
मेरे पास देने के लिए किसी को भी
किसी बिसी को भी
समय नहीं है मेरे पास
किसी को देने को भी
चेहरे का नूर है लग
चेहरे का नूर है लग
चेहरे पर दिखती हसी और
चेहरे पर दिखता है ग्लू ही अलग
मैं तो रोज करूँ बाते खुद से
और राते काटी मैंने जाने कितनी
अब राते काटू मैं तो जाने कितनी
जो गम के बरसात बरसे
अभी मैं तो लिखता बहाने