
Song
Uma Aggarwal
Dussehra Ki Kahaani Or Pujan Katha

0
Play
Lyrics
Uploaded by86_15635588878_1671185229650
दशेरे का पूजन
अश्वीन असोज शुकल पक्ष की दश्मी को दशेरा पूछते हैं
और आटे से मांडते हैं
दशेरे के ऊपर जल, रोली, चावल, मोली,
गुर, दक्षणा, फूल और जौ के जवारे चड़ाओ
सेर एक मैंतो एक नगत रुपया जवारे रखें
दूसरे मैं फल,
रोली, चावल से पूजा करें
थोड़ी देर बाद जिस हांडी मैं रुपया रखा
हो उस रुपया को निकाल का अलमारी में रख दो
वही कापी में सत्या निकाल का उस पर जल,
फूल,
रोली,
चावल चड़ाएं
थोड़े से जवारे रख कर
फिर दशेरे का पूजन करें
वही पूज का दवात कलम का पूजन करें
नील कंट का दर्शन करें, हलवे पूरी की रसोई बनाएं
ब्राम्मन जमाएं और दशेरे के दिन श्रीराम
चंजजी की वारामायन की पूजा करें,
भोग लगाएं
दशेरे की कहानी,
एक बार पार्वती जी ने शिवजी से पूछा कि
लोगों में जो दशेरे का त्युहार प्रचलित है,
इसका क्या फल है?
शेवजी ने बताया कि अश्विन शुक्रिधश्मी को साये काल
में तारा उद्देह होने के सम्हे विजे नामक काल होता है,
जो सब इच्छों को पूच करने वाला होता है,
शत्रूप विजे प्राप्तने की इच्छा करने वाले राजा कू
इसी लिए ये दिन बहुत पवित्र माना गया है और
शत्रिये लोग इसे अपना प्रमुक्तियुहार मानते हैं
शत्रू से यूद करने का प्रसंग ना होने पर भी इस काल
में राजाओं को अपनी सीमा का उलंगन अवश्य करना चाहिए
अपने तमाम दल बल को सुशजजित करके पूर्ध
दिशा में जाकर शमी वरक्ष का पूजन करना चाहिए
पूजन करने वाला शमी के सामने खड़ा होकर इस प्रकार ध्यान करे
हे शमी तू सब पापको नश्ट करने वाला है
और शत्रों को भी पराजे देने वाला है
तूने अर्जुन का धनुश धारन किया और राम चंदर जी से प्रियमारी कही
पार्वती जी बोली शमी वरक्ष ने अर्जुन
का धनुश कब और किस कारण धारन किया था
तथा राम चंदर जी से कब और कैसे प्रियमारी कही थी
सो किरपा कर समझाएं
शिव जी ने उत्तर दिया दियोधन ने पांडवों को जुय में हरा कर इस शर्ट
पर वनवास दिया था कि वे 12 वश तक प्रकट वन में जहां चायें फिर रहें
किन्तु एक वश बिल्कुल अज्यात वास में रहें
यदि इस वश में उन्हें कोई पैचान लेगा
तो उन्हें 12 वश और पनवास भूँगना पड़ेगा
वराट के पुत्र कुमार ने गौं की रक्षा के लिए अरजुन
को अपने साथ लिया और अरजुन ने शमीके व्रख्ष परसे
अपना हटयार उठाकर शत्रों पर विजय प्राप्त की थी
व्रक्ष ने अरजुन के ख़त्यारों के रक्षा की थी।
विजहधश्मी के दिन राम चंदर जी ने लंका पर चड़ाई करने के लिए,
प्रस्थान करने के समें,
पुजा युदिश्टर के पूछने पर शिरी करण्श जी ने भी उन्हें बतलाया था कि राजन
विजयदश्मी के दिन राजा को स्विम अलंकरत होकर अपने दासों और हाती गोडों
का शिंगार करना चाहिए तत्था गाजे बाजे के साथ मंगलाचार करना चाहिए उसे �
पूछने के पर प्रस्थान करके अपनी सीमा से बाहर जाना
चाहिए और वहां वास्तू पूजा करके अश्ठ दिज्ञालों तथा
पार्थ देवता की वैधिक मंत्रों से पूजा करनी चाहिए
शत्रू की मूर्ती अथवा पुतला बना कर उसकी छाती में
बान लगाएं और पुरोहित वैध मंत्रों का उच्छारन करें
ब्रामनों की पूजा करके हाती,
गोडा,
अस्तर,
शस्त आधी का निरक्षन करना चाहिए
यह सब करिया सीमान्त में करके अपने महल में लौट आना चाहिए
जो राजा इस वीधी से पूजा करता है बैस
सदा अपने शत्रू पर विजय प्राप्त करता है
अश्वीन असोज शुकल पक्ष की दश्मी को दशेरा पूछते हैं
और आटे से मांडते हैं
दशेरे के ऊपर जल, रोली, चावल, मोली,
गुर, दक्षणा, फूल और जौ के जवारे चड़ाओ
सेर एक मैंतो एक नगत रुपया जवारे रखें
दूसरे मैं फल,
रोली, चावल से पूजा करें
थोड़ी देर बाद जिस हांडी मैं रुपया रखा
हो उस रुपया को निकाल का अलमारी में रख दो
वही कापी में सत्या निकाल का उस पर जल,
फूल,
रोली,
चावल चड़ाएं
थोड़े से जवारे रख कर
फिर दशेरे का पूजन करें
वही पूज का दवात कलम का पूजन करें
नील कंट का दर्शन करें, हलवे पूरी की रसोई बनाएं
ब्राम्मन जमाएं और दशेरे के दिन श्रीराम
चंजजी की वारामायन की पूजा करें,
भोग लगाएं
दशेरे की कहानी,
एक बार पार्वती जी ने शिवजी से पूछा कि
लोगों में जो दशेरे का त्युहार प्रचलित है,
इसका क्या फल है?
शेवजी ने बताया कि अश्विन शुक्रिधश्मी को साये काल
में तारा उद्देह होने के सम्हे विजे नामक काल होता है,
जो सब इच्छों को पूच करने वाला होता है,
शत्रूप विजे प्राप्तने की इच्छा करने वाले राजा कू
इसी लिए ये दिन बहुत पवित्र माना गया है और
शत्रिये लोग इसे अपना प्रमुक्तियुहार मानते हैं
शत्रू से यूद करने का प्रसंग ना होने पर भी इस काल
में राजाओं को अपनी सीमा का उलंगन अवश्य करना चाहिए
अपने तमाम दल बल को सुशजजित करके पूर्ध
दिशा में जाकर शमी वरक्ष का पूजन करना चाहिए
पूजन करने वाला शमी के सामने खड़ा होकर इस प्रकार ध्यान करे
हे शमी तू सब पापको नश्ट करने वाला है
और शत्रों को भी पराजे देने वाला है
तूने अर्जुन का धनुश धारन किया और राम चंदर जी से प्रियमारी कही
पार्वती जी बोली शमी वरक्ष ने अर्जुन
का धनुश कब और किस कारण धारन किया था
तथा राम चंदर जी से कब और कैसे प्रियमारी कही थी
सो किरपा कर समझाएं
शिव जी ने उत्तर दिया दियोधन ने पांडवों को जुय में हरा कर इस शर्ट
पर वनवास दिया था कि वे 12 वश तक प्रकट वन में जहां चायें फिर रहें
किन्तु एक वश बिल्कुल अज्यात वास में रहें
यदि इस वश में उन्हें कोई पैचान लेगा
तो उन्हें 12 वश और पनवास भूँगना पड़ेगा
वराट के पुत्र कुमार ने गौं की रक्षा के लिए अरजुन
को अपने साथ लिया और अरजुन ने शमीके व्रख्ष परसे
अपना हटयार उठाकर शत्रों पर विजय प्राप्त की थी
व्रक्ष ने अरजुन के ख़त्यारों के रक्षा की थी।
विजहधश्मी के दिन राम चंदर जी ने लंका पर चड़ाई करने के लिए,
प्रस्थान करने के समें,
पुजा युदिश्टर के पूछने पर शिरी करण्श जी ने भी उन्हें बतलाया था कि राजन
विजयदश्मी के दिन राजा को स्विम अलंकरत होकर अपने दासों और हाती गोडों
का शिंगार करना चाहिए तत्था गाजे बाजे के साथ मंगलाचार करना चाहिए उसे �
पूछने के पर प्रस्थान करके अपनी सीमा से बाहर जाना
चाहिए और वहां वास्तू पूजा करके अश्ठ दिज्ञालों तथा
पार्थ देवता की वैधिक मंत्रों से पूजा करनी चाहिए
शत्रू की मूर्ती अथवा पुतला बना कर उसकी छाती में
बान लगाएं और पुरोहित वैध मंत्रों का उच्छारन करें
ब्रामनों की पूजा करके हाती,
गोडा,
अस्तर,
शस्त आधी का निरक्षन करना चाहिए
यह सब करिया सीमान्त में करके अपने महल में लौट आना चाहिए
जो राजा इस वीधी से पूजा करता है बैस
सदा अपने शत्रू पर विजय प्राप्त करता है
Show more
Artist

Uma Aggarwal0 followers
Follow
Popular songs by Uma Aggarwal

Papankusha Ekadashi Katha

01:38

Dussehra Ki Kahaani Or Pujan Katha

04:38

Radha Ashtami Ki Katha

02:05

Durga Navratri Vrat Katha

15:59

Mangalwar Vrat Katha

02:48

Navratri Arambh Ki Katha

01:54

Bindayak Ji Ki Katha

01:18

Devshayani Ekadashi Katha

01:55

Solah Shringar Hariyali Teej

02:57
Popular Albums by Uma Aggarwal

Shanivar Vrat Katha
Uma Aggarwal

Radha Ashtami Ki Katha
Uma Aggarwal

Durga Navratri Vrat Katha
Uma Aggarwal

Mangalwar Vrat Katha
Uma Aggarwal

Vaman Dwadashi Ki Katha
Uma Aggarwal

Navratri Arambh Ki Katha
Uma Aggarwal

Solah Shringar Hariyali Teej
Uma Aggarwal

Papankusha Ekadashi Katha
Uma Aggarwal

Dussehra Ki Kahaani or Pujan Katha
Uma Aggarwal

Masik Shivratri (Single)
Uma Aggarwal

Uploaded byThe Orchard