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Gaura Bena Hakat Rahi
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Lyrics
Uploaded by86_15635588878_1671185229650
बोला बोला बास की ना धग्गी
ये
अब घामना सहाता हो
तुहरा का कुछ ना बुझाता हो
बुझाता हो
अब घामना सहाता हो
तुहरा का कुछ ना बुझाता हो
पथर गरम बादी अनरम बाद
कबले पसीना पोचत रही
पोचत रही आरे पोचत रही
लिए
लिए

रंज ना हो खाई गउरा की बेना हकत रही
पानी बरसे बदरसुना कोई ना बावे छाया
जडस धरधर कापे दही भीज जला मोरे काया
जनी जई हा नाई हर गउरा माना भाता मॉड़ाई
पर नुगरा ना रही ना बावे छाया
छावाई देहबन मड़ाई मेटी दी आउरी थंधा खातिर पूलर लागावाई देहबन
जनमार भावतु वतन बनावा रत दिनी हो सोचत रही
सोचत रही आरे सोचत रही
रन्ज ना हो खाई गौरा ए गौरा ए गौरा
रन्ज ना हो खाई गौरा की बे ना हकत रही
रन्ज ना हो खाई गौरा की बे ना हकत रही
खाड़ी पहाडे जिनगे हमरो खाले भी तातावे
भंग धातूरा गांजा खाले मन के तुहरा भावे
बता है के बेची जारे जाकलाई बुधोनिया हमार सुना
जाहत पह बूता आता हां भूमाई बुरोनिया हमार सुना
बिगनमा तलबी हो खनाया जनाबी के सर्या के हमत का जानता रही
ज्यानत रही, अरे ज्यानत रही
रञजना हो खाए गऊरा, एक गऊरा, एक गऊरा
रञजना हो खाए गऊरा, की बेना खकत रही
परगम, रञजना हो खाए गऊरा, की बेना खकत रही
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V.A
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