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Ghar Hi Mathura Kashi
Satyendra Pathak
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Lyrics
Uploaded by86_15635588878_1671185229650
कर्म तेरे गर अच्छे
है तो किसमत तेरी दासी है
कर्म तेरे गर अच्छे है तो
किसमत तेरी दासी है
नियत तेरी अच्छी है तो
घर ही मथुरा काशी है
नियत तेरी अच्छी है तो
घर ही मथुरा काशी है
नियत तेरी अच्छी है तो
घर ही मधुराकाशी है
कर न सको गर पुन्य कोई तो
कम से कम मत पाप करो
दिल को छोट पहुच जाए मत
ऐसा किया खलाप करो
कर न सको गर पुन्य कोई तो
कम से कम मत पाप करो
दिल को छोट पहुच जाए मत
ऐसा किया खलाप करो
इरशाद इस नहीं करता जो
वो लेवा पाप करो
वो गृहस्त सन्यासी है नियत तेरी अच्छी है तो घर ही बधुराकाशी है
जोट कभी मत कहो किसी से हर दम सच की राह चलो
बेमानी से दूर रहो तुम होकर बेपरवाह चलो
जोट कभी मत कहो किसी से हर दम सच की राह चलो
मत कहो किसी से हर दम सच की राह चलो
बेमानी से दूर रहो तुम होकर भी परवाह चलो
ईश्वर अपनी संतानों से सजगुड का अभिलासी है
नियत तेरी अच्छी है तो घर ही मथुरा काशी है
नियत तेरी अच्छी है तो घर ही मथुरा काशी है
लूट खसोट करो मत हर गिज क्या लेकर तुम जाओगे
गला काट कर इंसानों का आखिर क्या तुम पाओगे
लूट खसोट करो मत हर गिज क्या लेकर तुम जाओगे
गला काट कर इंसानों का आखिर क्या तुम पाओगे
खिर क्या तुम पाओगे
रोता है सतेंद्र अनुझ जो
लोलुप और बिलासी है
नियत तेरी अच्छी है तो
घर ही मधुराकासी है
कर्म तेरे गर अच्छे है तो
किसमत तेरी दासी है
नियत तेरी अच्छी है तो
घर ही मधुराकासी है
नियत तेरी अच्छी है तो
घर ही मधुराकासी है नियत तेरी अच्छी है तो
घर ही मधुराकाशी है
नियत तेरी अच्छी है तो
घर ही मधुराकाशी है
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Artist
Satyendra Pathak
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