फोज में ज़वान हमाँ
या
घोरे छुट्डी लेके आजा
घोरे छुट्डी लेके आजा
अब की होलिया में
मनलागत नहीं खेड़ा मिया रमबोलिया में
लेकिन ए भाईया ओ फोजी ज़वान संया सेव दुलहिन कहेले
गावना कराके चली गैला तू फोज में
राजा कब लेने वा मजा
बबू गोलिया में
राजा कब लेने वा मजा बबू गोलिया में
मनलागत नहीं खेड़ा मिया रमबोलिया में
लेकिन ए भाईया ओ फोजी ज़वान संया से केई
फागण के महीना में उद्धुलहिन कहेले संया जी
हमार पिड़ा रहु ना बुजधथाईं बतावत दिया लेके अंगडाईं
जुमिके बसंत हो
जुमिके बसंत हो
अईली कामीन जे करी घारे ये लेकंत हो
अन्तिम में अपने फोजी ज़वान संया से उद्धुलहिन
के महीना में कहता था कहेले
एसंया जी
ये रहा जादी मन लहरा ता मोरी होली के तरंग में
होली के तरंग में
होली के तरंग में
के लंगा इस तंग में होली के लंगा इस तंग में
मनवा लागती नहीं थे रम्या हमरो होलीया में
मनवा लागती नहीं थे रम्या हमरो होलीया में