गुलामों को बुलाती है मेरे सरकार की गलिया
छलो बिगड़ी बनाती है मेरे सरकार की गलिया
गुलामों को बुलाती है मेरे सरकार की गलिया
मदीन में मुसंद सल्नू
नूर की वरसात होती है मदीने में मुसलसल नूर की वरसात होती है
यहाँ पर नूर में दोबी हुई हर रात होती है
हमेशा जग बदाती है मेरे सरकार की गलिया
मदीने में बुलाती है मेरे सरकार की गलिया
बुलामों को बुलाती है मेरे सरकार की गलिया
बुलामों को बुलाती है मेरे सरकार की गलिया
मेरे सरकार की गलियों का हर मन्जर सुखाना है
मेरे सरकार की गलियों का हर मन्जर सुखाना है
यहाँ पर मुंत जिरपल के पिचारे को समाना है
इस सब को याद आती है मेरे सरकार की गलियों
सरकार की गलियों गुलामों को गुलाती है
मेरे सरकार की गलियों
गुलामों को बुलाती हैं मेरे सेकार की गलिया
इनी गलियों में जब आता मेरे कश्रीफ बुलाती थे
इनी गलियों में जब आता मेरे कश्रीफ बुलाती थे
वो नोरानी मेहक से सारी गलियों को बसाते थे
मेहक अब भी लोटाती हैं मेरे सेकार की गलिया
सेकार की गलिया गुलामों को बुलाती हैं
मेरे सेकार की गलिया
गुलामों को बुलाती है मेरे सरकार की गलिया
चलो बिगडी बनाती है मेरे सरकार की गलिया
गुलामों को बुलाती है मेरे सरकार की गलिया
गुलामों को बुलाती है मेरे सरकार की गलिया
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