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Gir Ke Uth Padenge Hum
Hanita Bhambri
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Lyrics
Uploaded by86_15635588878_1671185229650
टूटके बिखरके चुड़की मनसलों की राह ताके ये दिल
खुआयशों की बारिशे है फिर भी क्यूं अन्धेरे से डरे ये दिल
लकीरे मिटे तो भी क्या राशनी बजे तो भी क्या
उमीद ना रहे तो भी क्या किरके उठपडेंगे हम
काँच को समेट के भी उंगलियों के जख्म ये बरते नहीं
तिन रात मैं ही सोचते हूँ तुछ को हूँ मैं आदरी या नहीं
खेर
लकीरे मिटे तो भी क्या राशनी बजे तो भी क्या
तेरा साथ ना रहे तो भी क्या किरके उठपडेंगे हम
कम ही तो है आज आसूं है कल खुशियों का मेला है
कम ही तो है तर्द से तो डर ना पुछ पल ही तो सहना है
कम ही तो है कम ही तो है
लकीरे मिटे तो भी क्या राशनी बजे तो भी क्या
नीद ना रहे तो भी क्या किरके उठपडेंगे हम
किरके उठपडेंगे हम
किरके उठपडेंगे हम
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Artist
Hanita Bhambri
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