बोल गुरुगोरखनात जी महाराज जी की जै हो
एक भगत गुरुगोरखनात जी महाराज के दर्वार में जाके गुरुखतीला कैसे अरदास करता है कि मैं आपका शिष्य बनना चाहता हूँ, आपका चेला बनना चाहता हूँ, आपका दास बनना चाहता हूँ
कैसे भजन के मैधम से गुरुगोरखनात के चरणों में गुरंधना रखती है, कैसे
ओ गुरुगोरखनात पकीरे, वो पकीरे मने अपना दास बना लेने
ओ गुरुगोरखनात पकीरे
ओ बकीर, मने अपना दास बना लेने
गुरुगुर के नाच बकीर, मने अपना दास बना लेने
मेरे मन मंदिर में वास करो
मेरे गट के पर्ते पास करो
मेरे गट के पर्ते पास करो
मैं तो हो लिया जीरं मा जीरे
मन मंदिर में वास करो
ने चेला खास बढ़ा लेने
रोगोर के नाथ बगीर
ओ बगीर
मने अपना दास बढ़ा लेने
ओ स्रिजोतना भगवाने की
मैं तो बढ़ा वू पुजारी मंदिर का
मैरा मैल काटो अंदर का
मैरा मैल काटो अंदर का
यदा चाहिए हलवा कीरे
मने अपना दास बढ़ा लेने
ओ बच्छो अधर का
मने अच्छे लाखास बढ़ा लेने
पुलगोर के नाथ पकीर ओ पकीर
मने अपना दाच बढ़ा लेने
पुलगोर के नाथ पकीर ओ पकीर
मने अच्छे लाखास बढ़ा लेने
पुलगोर के नाथ पकीर ओ पकीर
मने अपना दाच बढ़ा लेने
भोल स्रिजोत्रां भगवानी की
भोल स्रिजोत्रां भगवानी की
भोल स्रिजोत्रां भगवानी की
मने अच्छे लाखास बढ़ा लेने
पुलगोर के नाथ पकीर ओ पकीर
मने अपना दाच बढ़ा लेने