अजय को कुछ हुआ था यह कि तब इस श्रू नियुक्त है हेलो अ होने लगी बात है जो खोने लगी तेरी आंखें आंखें
नहीं बिल्कुल ने बाघ लेता सारी रात देखिए मैंने टू फैक्सर नहीं में करें मैं रास्ता बता रहा हूं
इनको ये रास्ता दिखा रहे क्यों मुझको मैं सजा की उमीद नहीं करता पर गलत क्या है मुझको ये बता रहे क्यों कुछको
ऐसी नावफा करो कि सजा मिल जाए तो फिर दगा मिल जाए तो फिर ये सजा मिल जाए मैंने करे ऐसे दोश नहीं तो वैसे रह नहीं
तेरी होने लगी बारिश है तो होश भी नहीं लिखने बैठा आगे लिखने बैठा आदे ओरे लिखने बैठा यादे ए
लिखने बठा आ गए लिखने बठा आ दे और ये लिखने बठा ला दे ये
कला की ना कदर करें यहाँ पर सजा मिले उसे जो मरे यहाँ पर
मैं तो लिख के बस वही गा रहा हूँ जो फ्री स्टाल में करते बाते और उनको ये सिखा रहा हूँ
हुआ करते ऐसे बाते ने जो हकीकत यह छूल गए नौक नौक टाय है कोई खुष्यां मूलिपम तो रीक्व जा बातें
इसी जूप करें नहीं इलीक्न प्रैट्रबार अगर हकीकत और डूंट घैर क्या मैं तो खर मूतत्र यह कई चेहरिए
सीने होती है मेरी राते ये कही ना अश्क भैते आँखों से कही मैं लिखते हुए था गम भोरी बरसाते कही मैं तो
नारिशा में डूब रहा डूबने दो सजा में हूँ थोड़ा फूबने दो कर रहा हूँ बात ये तुम्हारी दूबने दो
ऐसे ना करो तो मुझको बाला करने बटे हम भी तो ये सजा कर रहे ये वादे हम तो कई
निकने बटे ऐसे ना होते हैं जजबात कही मैं तो जैसे गा रहा हूँ मुझको ही पता है
गले में रखा हुआ क्या गम वो रखा है
भारी आवाज निकले मेरे एश्क नहीं
आखे है कम पर होते मेरे कक्स नहीं
होते मेरे कक्स नहीं
होते मेरे कम नहीं