तुझसे मिलके मैने जाना बनता क्यूं कोई दीवान
अनजाना यूँ कैसे कोई हो जाता है खास
तुझसे मिलके मैने जाना बनता क्यूं कोई दीवान
अनजाना यूँ कैसे कोई हो जाता है खास
बिन बोले यूँ आते जाते अकसर तुझसे है टकराते
दिन भर मेरी आखों के ये खास
बिन बोले यूँ आते जाते अकसर तुझसे है टकराते दिन भर मेरी आखों के ये खास
बेठे बेठे तनहां यूँही मूस्कुराए
कुछ भी तेरे बिन ये दिल ना सोच पाए
बैठे बैठे तनहां यूही मूस्कराए
कुछ भी तेरे बिन ये दिल ना सोच पाए
तुझसे ही सुबहां मेरी तो जागे तुझमे ही सोजाए
तुझसे मिलके मैने जाना बनता क्यूँ कोई
दीवान
अनजाना यूँ कैसे कोई हो जाता है पास
तुझसे मिलके मैने जाना बनता क्यूँ कोई
दीवान अनजाना यूँ कैसे कोई हो जाता है पास