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Mahendra Kapoor
Jab Jab Dharti Par Dharam Ghata

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कितनी ही बार दया निधी ने संसार को आखे उबार लिया
जब जब धर्ती पर धर्म घटा तब तब तब ने अवतार लिया
करो हरी दर्शन करो हरी दर्शन करो हरी दर्शन
ये कहानी भयंकर काल की है प्राचीन करो
स्थोड़ों साल की है
शंकासुर नाम कथा दानव उससे डरते थे सुर मानव
राक्षस था बढ़ा विकट बल में तेदों को चुरा के घुसा जल में
फिर प्रभू ने मच्य रूप धारा पापी शंकासुर को मारा
पापी शंकासुर को मारा
ये अमृत मन्थन की है कथा सुर असुरों ने सागर को मथा
सुर असुरों ने सागर को मथा दूबने लगा परवत जल में खल बली मची भू मंडल में
कब हरी ने कूर्म अवतार लिया मंदरा चल पीठ पे धार लिया
हर की लीला है अजब लोगों देखो अब द्रिश गजब लोगों
धनवंतरी जन में समंदर से अमृत ले आए वो अंदर से
अमृत के लिए दानव जगडे
अमृत के लिए दानव जगडे
पर प्रभु निकले सब से तगडे
तब प्रभु बने सुन्दर नारी मोहिनी नाम की सुकमारी
जब मटक मटक मोहिनी डोली दैत्यों की बंद हुई बोली
असुरों का आसन हिला दिया देवों को अमृत पिला दिया
फिर प्रभु का प्रथु अवतार
उनसे धरती का सुधार हुआ सब नियम धरम को ठीक किया जन जन का मन निर्भीक किया
अब सुनो भक्त ध्रू की गाथा भगवन को जुकालो सब माथा
जब ध्रू ने हरी दर्शन पाए तब उसके लोचन भर आए
एक बाल भगत ने निराकार नारायन को साकार किया
जब जब धरती पर धर्म घटा तब तब प्रभु ने अवतार लिया
करो हरी दर्शन
करो हरी दर्शन
करो हरी दर्शन
जब ग्राह ने गज को फ़कड लिया उसके पैरों को जकड लिया
तब चक्र पाणी पैदल दाओडे आकर उसके बंधन तोडे
और चक्र से ग्राह
और चौ कण संहारा फिलं में गजा
जु्दहा राला फ्याप्रणत्रोंये नर नारायन甜 भी महाटपस्वि जगेत आर किंप्रमेंट में पर अशी भी दैखबिरत हुई अपसरा
भी हर की भक्त हुई तब काम भी रस्ता नाप गया और प्रोध भी मन में कांप गया और प्रोध भी मन में कांप गया
है ग्रीव तपस्या करता था होने को अमर वो मरता था तब महमाया साथार हुई पर देने को तैयार हुई
दानव ने वचन ये उच्छारे केवल है ग्रीव मुझे मारे
है शीर्ष रूप हर ने धारा और पापी राक्षस को मारा
तो फिर हंस रूप में हरी प्रगटे कल्याण हेतु श्री हरी प्रगटे भगवान ने सबको शिक्षा दी
आवन भक्ति की दीखशा दी फिर जग में यज्ञ भगवन आए पृत्वी पर परिवर्तन लाए
सब देव हवन से पुष्ट हुए का राणी संच संतुष्ट हुए फिर प्रभु कपिल अवतार बने जरिश्चि
थी थे तो अन्हार बनें अपनी माता को ज्ञान दिया जनता को सांख्य प्रदान ग extinction को सांखा गाल
गुंदिया टी फिर
प्रदान गिया
अधिक अवतार हुए वास्तव में बालक चार हुए मत सोचो वो केवल बालक थे बड़े धरम करम के पालक थे
जै विजै को देकर श्राप बाल भगवान ने जग को तार दिया जब जब धरती पर धर्म घटा तब तब प्रभु ने अवतार लिया
करो हरी दर्शन करो हरी दर्शन करो
जब जब धर्ती पर धर्म घटा तब तब तब ने अवतार लिया
करो हरी दर्शन करो हरी दर्शन करो हरी दर्शन
ये कहानी भयंकर काल की है प्राचीन करो
स्थोड़ों साल की है
शंकासुर नाम कथा दानव उससे डरते थे सुर मानव
राक्षस था बढ़ा विकट बल में तेदों को चुरा के घुसा जल में
फिर प्रभू ने मच्य रूप धारा पापी शंकासुर को मारा
पापी शंकासुर को मारा
ये अमृत मन्थन की है कथा सुर असुरों ने सागर को मथा
सुर असुरों ने सागर को मथा दूबने लगा परवत जल में खल बली मची भू मंडल में
कब हरी ने कूर्म अवतार लिया मंदरा चल पीठ पे धार लिया
हर की लीला है अजब लोगों देखो अब द्रिश गजब लोगों
धनवंतरी जन में समंदर से अमृत ले आए वो अंदर से
अमृत के लिए दानव जगडे
अमृत के लिए दानव जगडे
पर प्रभु निकले सब से तगडे
तब प्रभु बने सुन्दर नारी मोहिनी नाम की सुकमारी
जब मटक मटक मोहिनी डोली दैत्यों की बंद हुई बोली
असुरों का आसन हिला दिया देवों को अमृत पिला दिया
फिर प्रभु का प्रथु अवतार
उनसे धरती का सुधार हुआ सब नियम धरम को ठीक किया जन जन का मन निर्भीक किया
अब सुनो भक्त ध्रू की गाथा भगवन को जुकालो सब माथा
जब ध्रू ने हरी दर्शन पाए तब उसके लोचन भर आए
एक बाल भगत ने निराकार नारायन को साकार किया
जब जब धरती पर धर्म घटा तब तब प्रभु ने अवतार लिया
करो हरी दर्शन
करो हरी दर्शन
करो हरी दर्शन
जब ग्राह ने गज को फ़कड लिया उसके पैरों को जकड लिया
तब चक्र पाणी पैदल दाओडे आकर उसके बंधन तोडे
और चक्र से ग्राह
और चौ कण संहारा फिलं में गजा
जु्दहा राला फ्याप्रणत्रोंये नर नारायन甜 भी महाटपस्वि जगेत आर किंप्रमेंट में पर अशी भी दैखबिरत हुई अपसरा
भी हर की भक्त हुई तब काम भी रस्ता नाप गया और प्रोध भी मन में कांप गया और प्रोध भी मन में कांप गया
है ग्रीव तपस्या करता था होने को अमर वो मरता था तब महमाया साथार हुई पर देने को तैयार हुई
दानव ने वचन ये उच्छारे केवल है ग्रीव मुझे मारे
है शीर्ष रूप हर ने धारा और पापी राक्षस को मारा
तो फिर हंस रूप में हरी प्रगटे कल्याण हेतु श्री हरी प्रगटे भगवान ने सबको शिक्षा दी
आवन भक्ति की दीखशा दी फिर जग में यज्ञ भगवन आए पृत्वी पर परिवर्तन लाए
सब देव हवन से पुष्ट हुए का राणी संच संतुष्ट हुए फिर प्रभु कपिल अवतार बने जरिश्चि
थी थे तो अन्हार बनें अपनी माता को ज्ञान दिया जनता को सांख्य प्रदान ग extinction को सांखा गाल
गुंदिया टी फिर
प्रदान गिया
अधिक अवतार हुए वास्तव में बालक चार हुए मत सोचो वो केवल बालक थे बड़े धरम करम के पालक थे
जै विजै को देकर श्राप बाल भगवान ने जग को तार दिया जब जब धरती पर धर्म घटा तब तब प्रभु ने अवतार लिया
करो हरी दर्शन करो हरी दर्शन करो
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