पच्छतावे पच्छतावे मने मती विर्था डोलिये
जैसिव जैसिव जैसिव यो मुख से बोलिये
पच्छतावे मने मती
पाप के करे ते कायाकाश में घीरे
शिव जी के रटे ते नाव साकर से तीरे
पच्छतावे
शिव शंकर की महर फिर रहमत गाट डोलिये
अमरत के गैडे में मतना जेहर गोलिये
पच्छतावे
शिव शंकर की महर फिर रहमत गाट डोलिये
जिवजी के कड़े में तेरा सेष ना खेरा
तो रा गंगा गैल बैल ना दिया लेरा
जिवजी के कड़े में तेरा सेष ना खेरा
तो रा गंगा गैल बैल ना दिया लेरा
तेरा मिट जागा, ओए, ओए, मिट जागा
नेरा मन की गुण्डी खोलिये
राख तुएश के दाग मेल सब दिल के दोलिये
बच्चितावे
महादेव मायादारी बेशपकीर मैं
विश्पि कैया नन्द शिवजी दाया दीर मैं
महादेव मायादारी बेशपकीर मैं
विश्पि कैया नन्द शिवजी दाया दीर मैं
सब शिवजी ओए ओए सब शिवजी सरीर मैं तु हंसा टोलिये
जैने के टाट मैं जैसे छिपे छोलिये
बच्चितावे
पुदला जा सरीर या परियात्मा प्राणी
शब के शमीशा
मैं शिवजी वेद की पानी
पुदला जा सरीर या परियात्मा प्राणी
शब के शमीशा
मैं शिवजी वेद की पानी
दुनिया
ओए ओए दुनिया हो जानी
जन हम कैपर हो लिये
रगुनात राज का करके
बसेरा उड़ जा दोड़ लिये
बच्चिता वेद