और फिर पांडों का राजसूय यग्य शुरू होता है
और राजसूय यग्य में अग्र पूजा के लिए
सबसे पहले किसकी पूजा हो
तो अर्जुन ने कहा का भगवान की पूजा होने चाहिए
लेकिन से सुपाल ने बहुत गलत गलत सब्द कहे
तो उसको मार गया गया अंत में माराज जब यज्ञ सुरू हुई तो भगवान ने युद्धिष्ट अच्छा वो यज्ञ कैसे होती है जो सारे राजा हार जाएं समर्पन कर दे तब आप कर सकते हैं
तो भगवान ने पूछा कहा कहो जरा संध की क्या स्थिति है उसको हराए तो भीमने धीरे से कहा कहा खुद तो नहीं हराए पाल हमसे पूछ रहे हैं हराए कि नहीं हराे
भगवान ने कहा, जब तक उसको नहीं हराओगे, तब तक यद्या नहीं हो सकते
तो कहा, चलो चढ़ाई कर दे, कहा इसे चढ़ाई करोगे, तो उससे जीद भी नहीं सकते
wrench यह दीमिणय से विड़ेज तक रघान का दान लीजिए किसका ज्ञाद चाहिए
कर दाल मुझे चाहिए योधा विव्ध 2 विशय
कर दो
कि यह विध््यक कदांत में
कि किससे लड़ो सके कि दोनों में से एक से लड़ना है अर्जुन को देखा अरे का यह तो बाण
भीम के साथ अच्छा उस समय ओम माराज सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि जो युद्ध जो पहलवानों का होगा ना एक पहलवान जितना खाएगा उतना ही दूसरा पहलवान खाएगा उससे जादा नहीं जहां वो सोएगा वहीं वो सोएगा जो वो खाएगा वहीं वो खाए
हमको लगता है कि हम इससे युद्ध में तो नहीं मार सकता मुझे लेकिन बिना भोजन के मारण लेगा भगवान दूसरे दिन की युद्ध में जब युद्ध प्रारम हुआ तो जैसे ही युद्ध शुरू हुआ ना इसारा किया कहा फाल करके फेक दो माराज फालता फेक �
देता फिर जुड़ जाता संधी नाम है ना चरा संधी संधी माने जुड़ना माराज उसके बाद एक बार भगवान ने एक दिनको को लेकर के फेड़ करके विपरीत दिशा में भेका है उसी तरीके किया जरासंध का उध्धार हो गया और उसके बार आगे
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