हाँ तुहरी सावरी सुरती अपे मन लल चाने हैं।
हाँ डर ना लाग जानी के कर बेटी हाँ बहलाने हैं।
यार बड़ा समझा मैं रोबचक के ही स्वाद।
सब कहा थेन लैकि कही देती बरबाद।
आज हम ओँ कहें के देखा बूरू कैसन होता प्याद।
सब कहा थेन लैकि कही देती बरबाद।
आज हम ओँ कहें के देखा बूरू कैसन होता प्याद।
एई,
सुना,
बोल दे जो उल्टा सीथा दिल पे नाले ही गारी के।
वैसे दा हमरोग कुपर दस के शलक रंगदारी के।
तलवार बना दो ही धारी के,
काटे ही तरकारी के।
घर से कही एक उठ जाती उपर इच्छट दे ही नारी के।
आंगे पीछे गूम अब तन्क्या बंध का ही दो
जाके अपनी ममी से चाचचन कही लो
रहना पाईबो भीना चमीली के दाई दे बाई जान
ममी पापा से कही के साधी यवड़न कही देओ
सब कहा थेन लाई की कही देती बरबाद
आज हम हो कही के देखा गूरू कैसन होता प्यार
आज हम हो कही के देखा गूरू कैसन होता प्यार