काल का पहिया घूमे भाईया लाख तरह इंसान चले
लेक चले बाराज कभी तो कभी गिना सामान चले
काल का पहिया घूमे भाईया लाख तरह इंसान चले
एक चले बाराज कभी तो कभी गिना सामान चले
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी
जनक की बेली अवध की रानी
सीता भटके
बन बन में
जनक की बेली अवध की रानी
सीता भटके
बन बन में
राह अकेली
राह अकेली रात अंधेरी
मगर रतन है तामन में
साथ न जिसके
चलता कोई
साथ न जिसके
चलता कोई
उसके साथ भगवान
चले
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी
आयर किसमत कुवर कनहयां स्वाद न जाने माखन का
हसी चुराए
हसी चुराए भूलों की वो कंस है माली उपवन का
भूल न पापी मगर पाप की ज्यादा नहीं दूकान चले
राम कृष्ण हरी
काल कपहियां घूमें
भाईया लाखत रह इनसान चले
एक चले बाराद कभी तो कभी बिना सामान चले
राम कृष्ण हरी
काल कपहियां घूमें भाईया लाखत रह इनसान चले
एक चले बाराद कभी तो कभी बिना सामान चले
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी
काल कपहिया घूमे भईया लाख तरह इनसान चले लेके चले बारात कभी तो कभी बिना सामान चले
राम कृष्ण हरी
आजब है कैसी प्रभू की माया माला से बिछुडा दाना
आजब है कैसी प्रभू की माया माला से बिछुडा दाना
धूंडे जिसे मन सामने है वो जाये न लेकिन पहचाना
कैसे वो मालिक दिखे तुझे जब साथ तेरे अभिमान चले
राम कृष्ण हरी
फर्म अगर अच्छा है तेरा किस्मत तेरी दासी है
दिल है तेरा
दिल है तेरा साफ तो प्यारे घर में मथुरा काशी है
सच्चाई तेरा
राह चलो रे
सच्चाई की राह चलो रे
जब तक जीवन प्राण चले
राम कृष्ण हरी
काल कपहिया घूमे भैया लाख तरक हिंसान चले
लेक चले बारात कभी तो कभी बिना सामान चले
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी
राम कृष्ण हरी