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Kamal Bhed, Pt. 01
Bijender Chauhan
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Lyrics
Uploaded by86_15635588878_1671185229650
सात कमल का भेद बताऊं, कमल कमल की युक्ति दिखाऊं, मूल कमल है मूली ही द्वारा, चार पंखुडिया है विस्तारा
वहाँ विनायक देव बिराजे, मूली द्वार कमल सती साजे, तीजे कमल पंखुरी है आज, ना भी माही है जिसकी गान
वहाँ वासु देव का इस्थान, लक्ष्मी सहित बसें भगवान, चोथा कमल इरदे में होता, वास महेश का जहां पे होता
शोडश कमल आत्म पहिचाना, शक्तिया विद्या कहा बखाना, शश्ट कमल पंखुरी है तीन, सरस्वती जहां वासा कीन
सब्तम कमल त्रपुटी के तीर, दो दल माही बसें दो वीर, शशी और सूर्य प्रकाशक जग के, यह सब खेल निरंजन नटके
अश्टम कमल ब्रह्मान्ड के माही, जहां निरंजन और कोई नाही, आठ कमल का बना ठिकाना, धर्मदास बड़भागी जाना
सब्त कर्म और शुने सार, साथ सूर्ति स्थान, इकी सौं ब्रह्मान्ड में, आप निरंजन ज्यान
राज निरंजन देखता, जगा जगा भर पूरे, धर्ती से पाताल तके, कहीं पास कहीं दूरे
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Artist
Bijender Chauhan
Uploaded byThe Orchard
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