देशों विजिन्टेड वाई दीजियार कंपनी शिमर एम के गुजर राइटर महिंदर कमठेर की
हर एक कावड सोरों जी से आवेगी जमन बंबं बोले हो जी जमन बंबं बोले हो जी
गंगा जी को देशे कारों कावड में जन भर लियों कावड में जन भर लियों
मनोद कामना पूरन हो जाए महादेवे को जाने कियों
गंगा जी को देशे कारों
कावण में जल भर लियो मनुता में ना पूरण हो जाए महादेव को जान कियो
महादेव को जान कियो यार एक दुनिया एक साड़ को हो जागी बोलेगी बोलेगी
कावण सो रोजी से आवडी जब बोलें बोले होगी
जफर पड़ेगी
घंडी घंडी पवलें
मंदी मंदी मून्दे पड़े
सामन मैंडा पड़ो सुआलो कावडिया नी कुशी मने
कावडिया नी कुशी मने
नंडी नंडी पवने चले योरे
मंदी मंदी मून्दे पड़े
सामन मैंडा पड़ो सुआलो कावडियो
कावडिया नी कुशी मने
कावडिया नी कुशी मने
जाएग पल्लन भाँ दवि की
आयागी जो चलिए अवीं सेखे करेंगी
जो चलिए अवीं सेखे करेंगी
कावड सौंराउजी से आवेंगी
जवे भोले भोले होगी
जवे भोले भोले होगी
दीजे बजे नचे नर नारी पिये पांगे बर बर प्याला
पिये पांगे बर बर प्याला
सिंगरे मिके गुजर गाले जाने रखो बूले बाबा
दीजे बजे नचे नर नारी पिये पांगे बर बर प्याला
सिंगरे मिके गुजर गाले जाने रखो बूले बाबा
धारे के किरपा महाकाल की भूबेगी तू बैटी बोज करेगी
तू बैटी
माझे करेगी कावड सो रोजी से
आवेगी जब भोले भोले होगी
जब भोले भोले होगी
अरेक कावड सो रोजी से
आवेगी जब भम भम भोले होगी
जब भम भम भोले होगी
अरेक कावड सो रोजी से
आवेगी जब भम भम भोले होगी
जब भम भम भोले होगी