एक हरी भक्त, हरी बाबा धाम पहुँच जाता है, वहां बाबा को प्रणाम करता है, भीड को देखकर मन में सोचता है, यहां तो सब फोन चलाने में व्यास्त हैं, और भक्त को गुस्सा आता है, और कहने लगता है
राम नाम के हम व्यापारी, प्रेम नगर मारा काम, कोई ले लो रै, ले लो हरी का नाम
कोई ले लो रै, ले लो हरी का नाम
सत्य लोग से हम चले आए, हम तो साधा प्रेम
का लाए, सत्य लोग से हम चले आए, हम तो साधा प्रेम
का लाए, राम नाम बड़ी सार जगत में, राम नाम बड़ी सार जगत में
कोई ले लो रै, ले लो हरी का नाम
हाँ जी कोई ले लो रै, ले लो हरी का नाम
राम नाम के हम भ्यापारी, राम नाम के हम भ्यापारी
प्रेम नगर मारा काम
कोई ले लो रै, ले लो हरी का नाम
पाट तराजू है कुछ नाही, तोल मोल भी है कुछ नाही
कोई ले लो रै, ले लो हरी का नाम
हाँ जी कोई ले लो रै, ले लो हरी का नाम
राम नाम के हम भ्यापारी, प्रेम नगर मारा काम
कोई ले लो रै, ले लो हरी का नाम