आओ भगतों हाल सुनाए किर्षिन के यार सुदामा का
आओ भगतों हाल जूनाए
किर्षिन के यार सुदामा का
बसाद्वारि काधिष्य के दिल में सच्चा प्यार सुदामा का
बसाद्वारि
काधिश्य के दिल मेंश ऐसाद्वारि सुदामा का
निर्धनता में बात सुदामा अपना समय बिताता था
पतनी बच्चे खापी लेते जैसा जो मिल जाता था
जैसा जो मिल जाता था
बात भी आता था
पतनी को मालूम पती का कृषिन कनईया से नाता था
कृषिन कनईया से नाता था
सोच सुशीला कृषिन करेंगे बेडा पार सुदामा का
बसा द्वारी काधीश के दिल में सच्चा प्यार सुदामा का
सच्चा प्यार सुदामा का
भूख से व्याकुल होकर बोली
व्याक का में जाओ तुम
उस बच्चपन के यार को अपने दिल का दर्द बताओ तुम
दिल का दर्द बताओ तुम अगर मानते हो तुम अपना मन में ना शरमाओ तुम
खशी का आलम घर में मदद मांग कर लाओ तुम
मदद मांग कर लाओ तुम
मांगन गए सो मर गए था ऐसा विचार सुदामा का
सच्या प्यार सुदामा का
पिश्ण के आर सुदामा का
सच्या प्यार सुदामा का
एक दो मुठी चावल लेके पहचे द्वार द्वार काके
महल के अंदर ना जाने दें पहरे द्वार द्वार काके
वेश देख के हसने लगे थे बंदे चार द्वार काके
अंत सदेशा पहुचा क्रिशन के दर्बार में सुदामा का
होर सक чего तल Gore
नाम
सुदामा सुनके मोहन दोड़े दोड़े आये थे
पीने लगा के ऐसे रोए
आसू थम ना पाए थे
एक बार नहीं कई बार फिर यार को गले लगाए थे
इस गधी पे आप बैठ थे उस पर यार बिठाए थे
उस पर यार बिठाए थे
नहीं खुशी का रहा ठिकान कर दिदार सुदामा का
सच्या प्यार सुदामा का
आओ भगतों हाल सुणाए
पूर्ण के आर सुदामा का
वसाध्वार काधीश के दिल में
ब्रमाननद के सागर में दोनों ही यार थे डूब गए
एक
मुदद के बाद में देखो मिल दोनों महभूब गए
सुदामा के चरणों में सेवक बन थे खूब गए
रुकमन करे हरानी हो यूँ सेवा में मस्रूप गए
सेवा में मस्रूप गए
ऐसा पहले नहीं हुआ था यूँ सतकार सुदामा का
बसा द्वार काधीश के दिल में सच्चा प्यार सुदामा का
सच्चा प्यार सुदामा का
सुनाएं किषन के आर सुदामा का बसा द्वार
काधीश के दिल में सच्चा प्यार सुदामा का
जो पैरों में चुबे थे
काटे सभी निकाले कानाने
ताइस तकार काहमत वाले कानाने
चरन धुलाये उतारी आरती जगर वक्षबाले कानाने
वस्त्र खास पहनाये प्यारे नये निराले कानाने
हर सुख धुख का क्रिशन ऊपर सारा भार सुदामा का
बसा
द्वार काधीश के दिल में सच्चा प्यार सुदामा का
सच्चा प्यार सुदामा का
šो
सान्दी वनी गुरू से देखो
दोनों कितना डरते थे
दोनों कितना डरते थे
गुरुमाता जो काम बताती आगे पीछे फिरते थे
शिक्षा लेते नाम प्रभू का
दोनों वक्त सिमरते थे
दोनों वक्त सिमरते थे
बल्दाऊं के जैसा करते थे एतबार सुदामा का
एक
भावी ने क्या भेजा सुदामा मेरे लिए क्या लाए हो
मुझे पोटली दे दो जल्दी क्यों इतना शरमाए हो
क्यों इतना शरमाए हो बड़े भाई के
जैसे प्यारे बड़े दिनों में आए हो
महल आपका सेवक हम है काहे को धबराए हो
काहे को धबराए हो
वावा तंदुल कितना मीठा है दिलदार सुदामाः का
बसा दौर काधीश के दिल में सच्या प्यार सुदामाः का
सच्या प्यार सुदामाः का
बसा दौर काधीश के दिल में सच्या प्यार सुदामाः का
रुकमन सोचे मैने कभी भी ऐसा प्यार नहीं देखा
दिल दौर काधीश का इतना निरधन यार नहीं देखा
सेवक सोचे भगबन जैसा सेवादार नहीं देखा
अंगे
फैरों करने दौड
यूँ सतकार नहीं देखा
यूँ सतकार नहीं देखा
रुकमन नहीं किया प्रेम से भोज तयार सुदामाः का
बसा दौर काधीश के दिल में सच्या प्यार सुदामाः का
सच्या प्यार सुदामाः का
रात गुजर गई सुबा हो गई बोल सुदामा ना पाए
उधर वो बच्चे भूखे घर में खाने को कुछ मिल जाए
कुछन भिना कुछ पूच रहे ना सुदामा भी कुछ बतलाए
इतनी दोर से मेत्र के घर में मेत्र चल के क्यों आए
शिरी
क्रिशन ने चुपके चुपके किया उधार सुदामा का
बसा द्वार काधीश के दिल में सच्चा प्यार सुदामा का
सच्चा प्यार सुदामा का
मन ही मन में दुखी सुदामा
अंदर अंदर रोय रहे
ऐसी गरीबी आई घर में भाग्य पड़कर सोई रहे
भाग्य पड़कर सोई रहे
सोचे
वैसा पड़े काटना जैसा भी हम बोय रहे
अनता में गम की गथरी ढोय रहे
गम की गथरी ढोय रहे
काना सोचे ऐसा सोचना है बेकार सुदामा का
बसा द्वारि काधीशिक दिल में सच्या प्यार सुदामा का
सच्या प्यार सुदामा का
आओ
भगतों आल सुनाएं कृष्ण के आर शुदामा का
सच्चा व्यार सुदा माता
आज्या लेकर
वापिस चल तो
चलते चलते कर विचार
उसन दियाना मैंने मांगा
वैसे आया मैं दर्बार
सोचा था मेरा मान करेगा
मेरा
सोचना भी बेकार
अपनी नगरी में जा पहुचा
चलते चलते गया थाहार
शिरी क्रिशन से जुड़ा हुआ था मन का तार सुदा माता
बसा द्वार काधिश के दिल में सच्चा प्यार सुदा माता
सच्चा प्यार सुदा माता
शिरी क्रिशन के आर सुदा माता
बसा द्वार काधिश के दिल में सच्चा प्यार सुदा माता
घर के निकट जब पहुँचे सुदा मा देख देख के हुए हरान
जहां पे छोटी सी कुटिया की वहाँ महल है आली शान
खोर खोर के चेज़ प्रविचेज़ बने हैं
उपवन और उध्यान
गाजे बाजे बज रहे हैं औरत गाएं मंगल गाँ
काउप बगतों आल सुनायें कि शिन के आर सुदा माता
बसा द्वारी काधी शिक दिल में चच्चा प्यार सुधा माँ का
अगबानी को आई पत्मी गल सोने का हार पड़ा
जुझ ओरती जगमग जगमग चेहक रहा परिवार खड़ा
सुधा मा को था शीश जुकाया द्वार पे तहरे दार खड़ा
कोले सुधा मा किरिशन कनहिया तेरा है चमतकार बड़ा
तेरा है चमतकार बड़ा
याद करेगा
सेव भाव सब संसार ये सुधा मा का
जनम से भाग्य हीन दरीद्र धनी धनवान बनाया था
सच्चे भगत सुधा मा वास्ते खेल सारा रचाया था
खेल सारा रचाया था
जीता वेडा
किष्ण ने पार लगाया था
अच्छा माडा जान कमल सिंग शरण में अपनी बिठाया था
शरण में अपनी बिठाया था
भगती कारण बना थकाना खेवन हार सुधा मा का
का
ढीश के दिल में सच्चा प्यार सुधा मागा
शडा मका करिया हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ वासे
कयार सुदामा का
बसा द्वार काधीश के दिल में
सच्चा प्यार सुदामा का