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Mahakal Ki Basti Mein Kripa Barasti Hai
Shahnaaz Akhtar
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Lyrics
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माहाकाल के बसते में वस किरप बरसते हैं
दर्शन को तेरे बाबा दुनिया ये तरस्ती है
माहाकाल के बसते में वस किरप बरसते हैं
माहाकाल के बसते में वस किरप बरसते हैं
महाकाल की बस्ती में बस किर्प बरस्ती है।
महाकाल की बस्ती में बस किर्प बरस्ती है।
दर्शन को तेरे बाबा दुनिया ये तरसती है।
महाकाल की बस्ती में बस किर्प बरस्ती है।
महाकाल की बस्ती में।
पस किरप बरसती है महकाल की बसती
तालों के गाल मुंदों की माल भसमी भभूत वाला है
दिनंदयाल कायाबिषाल भोला तो भोला भाला है
तालों के गाल मुंदों की माल भसमी भभूत वाला है
कालों के काल मुण्डों की माल भसमी भभूत बाला है। तीनन दयाल काया विशाल भोला तो भोला भाला है।
हर भक्त की इस दर से तकदीर चमकती है।
दर्शन को तेरे बाबा।
दर्शन को तेरे बाबा।
दुनिया ये तरस्ती है।
महाकाल की बस्ती में बस किरपा बरसती है।
दुनिया ये तरस्ती में बस किरपा बरसती है।
भक्ति जगाए मुक्ति दिलाए अलख निरंजन बंबंबं।
भक्ति जगाए मुक्ति दिलाए अलख निरंजन बंबंबं।
ये राजाधी महाराजा महकाल की बस्ती है।
दर्शन को तेरे बापा, दर्शन को तेरे बापा, दुनिया ये तरस्ती है।
महकाल की बस्ती में बसकिर्प बरस्ती है।
दर्शन को तेरे बाबा दुनिया ये तरस्ती है।
महकाल की बस्ती में बसकिर्प बरस्ती है।
महकाल की बस्ती में बसकिर्प बरस्ती है।
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Artist
Shahnaaz Akhtar
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