आप पानी ज़्यादा खर्च करो तो आपके घर के लोग कहते हैं कि तुम पानी बरबात कर रहे हैं
रुपिया ज़्यादा खर्च करो तो लोग कहते हैं धन बरबात कर रहे हैं
कहीं समय ज़्यादा खर्च करो तो सब कहते हैं कि टाइम बरबात कर रहे हैं
गाड़ी तुम फिजोल में चलाओ, फालतू में चलाओ तो लोग कहते हैं
फोबरोज लड़ाओ भेड़ाओ, कहते हैं गाड़ी बरबाद कर रहे हो
लेकिन गाड़ी बरबाद हो जायेगी तो दूसरी गाड़ी खरीद लोगे
लेंगे और कपड़े बरबाद हो जाएंगे नए कपड़े करीद लोगे धन बरबाद हो जायेगा तक कि न्यादर कमा लोगे पर याद
रखना जो लोग अपनी जिंदगी को बरबात करें हैं यह जिंदगी कि फिर कहां से खरीं दोगे जिंदगी वापस मिलने है
जिंदगी से जुड़ी हुई सब चीजों का मुल्य है
लेकिन जिंदगी अमूल्य है
और ये अमूल्य जिंदगी मनुष्य है
ज़्यादातर लोग
विशे भोगों के लिए जिंदगी बरबात कर देता है
विशे भोग
विशे भोगों का जाल भी बहुत कठिन जाल है
यह जन में तुझे अनमोले मिला
बरिबाद न कर
तो क्या कर
बरिबाद न कर तो क्या कर
भजन कर
भक्ति कर
सत्सन कर
परोपकार कर
परोपकार कर
शेवा कर
करने को भजन
तजने को अमल
अमल बाने
गलत आत्ते
उनको त्याग किजी
और भजन किजी
किटने लोग गहते हैं
हमारे पास मैं भजन करने का टाइम है
किटने लोगों
तुको तो मैंने यहां तक सुना है
कहते हैं हमको तो
खाने का भजन
टाइम रही है, सोने का टाइम रही है, नहाने का टाइम रही है, पूरा धमधूसर बनकर घूमते रहते हैं, धमधूसर, माटी वाटी लगाए हैं ये धोल धड़ा का, अश्णाम नहीं कर पाते हैं।
प्रधान मंत्री जो देश को समालता है, वो भी रोज अश्णाम कर लेता है, ये कियोल एक भैंस को समालते हैं, ना खुद अश्णाम करते हैं, ना भैंस को अश्णाम करते हैं।
कितनी इस्त्रियों को पति ऐसा मिला है, जैसे पड़वा, पड़वा पड़ा रहता है हाँ, ऐसे उनका पती पड़ा रहता है,
पड़वा, ये भैंस के बच्चे को पड़वा क्यों कहते हैं, इसको पाणा इसलिए कहते हैं, ये पड़ा रहता है, इसलिए इसका नाम पाणा है, सबके नाम के पीछे आर्थ भी है,
और भैंस की जो बच्चे होती हैं, उसको पाणी कहते हैं, और जो पतोहो होती है ना, मद्ध प्रदेश में, राजस्तान में, उसको लाडी कहते हैं, क्या कहते हैं, लाडी, और भैंस की बच्चे को पाणी कहते हैं, तो कितने घरों में पतोहो ऐसे आई हैं, जैसे वो पाणी
है सौंच रहे थे लाड़ी आई है लाड़ी की बजाए पाड़ी आई है पड़ी रही है कोई काम नहीं करते है
पाड़ी और पाड़ा मत बनो पड़वा मत बन सिधने गुरुओं को सिस भी ऐसा मिला है बिलकुल पाड़ा है
खा लेता है अब पड़ा रहता है
गुरु पूंचता क्या हाल है
तो कहता पेट में कुछ गणबड हो है
जब भोजन बन गया तो गुरु पूंचता आप क्या हाल है
बोले भोजन खा लेंगे अब ठीक है इसमें पेट सही
काम करने का समय आया तो कहता है
शीर दर्द है
शीर दर्द बताता है
ये सब बहाने बाजी छोड़ो
ऐसे सिस्व बनो
गुरु को हलका करतो
एसी पतो हु बनो
अपने सास सस्र को हलका करता है
ऐसे पुत्र बनो
ऐसी पुत्री बनो
अपनी मावाप को
फूल की तरह
फुश्वोदार खिला दो
पिताजी निशिंद्र हो
सब कारोबार मैं समझ लूगा
Đang Cập Nhật
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