मन दरीयो समझीन प्रेम करती नहीं
मन दरीयो समझीन प्रेम करती नहीं
कि तारी आखों मा भरती नुपूर छे
तारी आखों मा कईक तो जरूर छे
मन दरीयो समझीन प्रेम करती नहीं
एकली पड़ेने त्यारे मारा विचारो न
दरपण मा मूख जोई लेजे
खुदने समझाए नहीं एन तारा मन मा तू मारू बस नाम कहि देजे
मने होठ सुधी लावी अकड़ावती नहीं
के मारा श्वासोनो नाजुक बहु सूर छे
तारी आखों मा कईक तो जरूर छे
मन दरियो समझीने प्रें करती नहीं
माती नी इच्छा कईं एवी तू चाले के अंकित पगला हो तारा एटला
मारा मलवाना तारा मन मा अमाप रात दिवसो सदाए होए जेतला
मने आखोना ओरडा मा रोकती नहीं
के मारु होवु तारा थी भरपूर छे तारी आखों मा कईक तो जरूर छे
मन दरियो समझीन प्रेम करती नहीं
प्रेम करती नहीं