कृष्णा कृष्णा हरे हरे कृष्णा
मुरली की धुन फिर सुना ओ कन्हाई
मुरली की धुन फिर सुना
आत्मा की प्यास बुझा ओ कन्हाई
आत्मा की प्यास बुझा
फ्रेमी जन ये आस लगाए
तुझ को अपनी ही अरज सुनाए
तेरी एक झलक जो पाए
तुझ पर साधर बली बली जाए
मां की झांकी ओ मन मोहन अब दिखा
मुरली की धुन फिर सुना ओ कन्हाई
मुरली की धुन फिर सुना
आत्मा की प्यास बुझा ओ कन्हाई
आत्मा की प्यास बुझा
सर पर मोर मुकुट साजे
और मुरली अधर लगाए
भूवन मोहिनी छटा दिखादे
राधा वाम सजाए
प्रेमी जन ये आस लगाए
तुझ को अपनी ही अरज सुनाए
तेरी एक छलक जो पाए
तुझ पर साधर बली बली जाए
लिला फिर से कोई मनहारी रचा
मुरली की धुन फिर सुना
ओ कनाई
मुरली की धुन फिर सुना
आत्मा की प्यास भुझा
ओ कनाई
आत्मा की प्यास भुझा
देनु चराने बेनु बजाने माखन दगे छुराने
गुआल बाल को खेल खिलाने मधु में रास रचाने
प्रेमी जन ये आस लगाए तुझको अपनी ही अरज सुनाए
तेरी एक छलक जो पाए तुझ पर साधर बली बली जाए
करके वादा जो गया है वो निभा
मुरली की धुन फिर सुना आत्मा की प्यास बुजा