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Om Jai Jagdish Hare
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Uploaded by86_15635588878_1671185229650
उम जै जगदी शहरे
नात जनों के संकत
चेना में गूर करे
उम जै जगदी शहरे
जो जावे फल पावे दुख बिन से मन का
सुख संपति घर आवे
उम जै जगदी शहरे
मात पिता तुम मेरे शरण पड़ूं किस की
उम बिन आउर न दूझा आस करूं जिस की
उम जै जगदी शहरे
तुम हो एक अगूचर सब के प्राणपती
किस विद मिलों दया मैं
तुम को मैं तुमती उम जै जगदी शहरे
दीन बंदू दुखा हर ताथापुर तुम मेरे
अपने हाथ बढाओ द्वार पड़ा तेरे
उम जै जगदी शहरे
विशय विकार मिताओ पाप रो देवा
शर्धा भक्ति बढाओ
संतन की शेवा उम जै जगदी शहरे
धन मन धन सब तेरा सब कुछ है तेरा
तेरा तुझ को अरपन या लागे मेरा
उम जै जगदी शहरे
भक्त जनों के संकत शरमे दूर करे
उम जै जगदी शहरे
भक्त जनों के संकत शरमे दूर करे
उम जै जगदी शहरे
भक्त जनों के संकत शरमे दूर करे
उम जै जगदी शहरे
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