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V.A
Paap

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काम करके घर का सारा घर से वो निकल पड़ी
पैर चूए पापा के वो बोले है अकल बड़ी
कांदे पे था टांगा बसता रस्ते पे वो चल पड़ी
चेहरा खिल रहा था उसका टूटी थी चपल पड़ी
उमर दस थी उसकी ओर थी कक्षे उसकी साथवी
जुबा थी इतनी मीटी जैसे गुर की थी वो चासनी
दिल की भी थी साप सारे दोस्तों में खास थी
चीज लेती पाँच की चार दोस्तों में बांट थी
तोप थी कलास में वो स्कूल की भी शान थी
ऐसी कोई टीचर ना थी जो उसे न जानती
लड़के जो सकूल के थे भाईया उनको मानती
जो होने वाला पाप था उस बात से अंजानती
छुटी होते बैग लेके स्कूल से वो चल पड़ी
देख के अकेला उस पे लड़कों की नजर पड़ी
दर्द बोच वैशी उसको ले गए थे खेत में
नना सा वो फूल तूटा मिल गया फिर रेत में
आजकल मैं अपनी ही नजर को समबालता
घर में बेटी मेरे भी बस मन में ये खियाल था
आजकल मैं दिल से अपने दर्दों को निकालता
पापी मन मेरा भी है बस मन में ये सवाल था
आजकल मैं अपनी ही नजरों को संभालता
घर में बेटी मेरे भी बस मन में ये खयाल था
आजकल मैं दिल से अपने दर्दों को निकालता
पापी मन मेरा भी है बस मन में ये सवाल था
ये भी ना पता था उसके साथ ये क्या हो रहा
ये तो हस रहे है दर्द मुझको पर क्यों हो रहा
गलती क्या थी मेरी पूछती रही खुदा से वो
सुनके ये सवाल उसका खुद खुदा भी रो रहा
सारे कपड़े गंदे उसके खून में वो लगपती
जिसम सांसे ले रहा था रूथी कब की मर चुकी
नजरे ना मिला पाया कोई मर्द उसकी लास से
गलती इतनी सी थी उसकी क्योंकि ना वो मर्द थी
लोयालिटी है कून में तभी तो आज जिन्दा मैं
दिल पत्र का जो होता तो बन ही जाता धरिंदा मैं
नोच के चला गया वो घर से उसकी बेटी को
आज कल मैं अपनी ही नजरों को संभालता
घर में बेटी मेरे भी बस मन में ये खयाल था
आज कल मैं दिल से अपने दर्दों को निकालता
पापी मन मेरा भी है बस मन में ये सवाल था
पैर चूए पापा के वो बोले है अकल बड़ी
कांदे पे था टांगा बसता रस्ते पे वो चल पड़ी
चेहरा खिल रहा था उसका टूटी थी चपल पड़ी
उमर दस थी उसकी ओर थी कक्षे उसकी साथवी
जुबा थी इतनी मीटी जैसे गुर की थी वो चासनी
दिल की भी थी साप सारे दोस्तों में खास थी
चीज लेती पाँच की चार दोस्तों में बांट थी
तोप थी कलास में वो स्कूल की भी शान थी
ऐसी कोई टीचर ना थी जो उसे न जानती
लड़के जो सकूल के थे भाईया उनको मानती
जो होने वाला पाप था उस बात से अंजानती
छुटी होते बैग लेके स्कूल से वो चल पड़ी
देख के अकेला उस पे लड़कों की नजर पड़ी
दर्द बोच वैशी उसको ले गए थे खेत में
नना सा वो फूल तूटा मिल गया फिर रेत में
आजकल मैं अपनी ही नजर को समबालता
घर में बेटी मेरे भी बस मन में ये खियाल था
आजकल मैं दिल से अपने दर्दों को निकालता
पापी मन मेरा भी है बस मन में ये सवाल था
आजकल मैं अपनी ही नजरों को संभालता
घर में बेटी मेरे भी बस मन में ये खयाल था
आजकल मैं दिल से अपने दर्दों को निकालता
पापी मन मेरा भी है बस मन में ये सवाल था
ये भी ना पता था उसके साथ ये क्या हो रहा
ये तो हस रहे है दर्द मुझको पर क्यों हो रहा
गलती क्या थी मेरी पूछती रही खुदा से वो
सुनके ये सवाल उसका खुद खुदा भी रो रहा
सारे कपड़े गंदे उसके खून में वो लगपती
जिसम सांसे ले रहा था रूथी कब की मर चुकी
नजरे ना मिला पाया कोई मर्द उसकी लास से
गलती इतनी सी थी उसकी क्योंकि ना वो मर्द थी
लोयालिटी है कून में तभी तो आज जिन्दा मैं
दिल पत्र का जो होता तो बन ही जाता धरिंदा मैं
नोच के चला गया वो घर से उसकी बेटी को
आज कल मैं अपनी ही नजरों को संभालता
घर में बेटी मेरे भी बस मन में ये खयाल था
आज कल मैं दिल से अपने दर्दों को निकालता
पापी मन मेरा भी है बस मन में ये सवाल था
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