मजबूरी बाहूर
रोजे हमारा से रोहत रहू बीजी
अब के कर भाईलू सुगनिया तुनी जी
कहा कहे
दिल में भाईल रे
लगता प्यार ना आए भाईल रे
रे पंगला पंगली केते भूला
जो बिया हामा तौ ऐ भाईल रे
रे पंगला पंगली केते भूला
जो बिया हामा ताए भाईल रे
बिया हामा थाए भाईल रे
का प्यार कोईल मय गाईल रे
माइ जनवा जनवा केते भूला
जो बिया हामा ताए भाईल रे
रोई हातु मत सुन हमा रोई जात तुम्हो रोख लिहा हा
सांसुरो मय गाईल किया बाद कल का किया पढ़ा खलिहा हा
संज़ो टानू
हमारा के पढ़ावना पहाड़ानू हो
देखो तानी कैसे कले बुगुजारानू हो
कहाँआ जाए भाईल रे
इहां हमार छाए भाईल रे
रे पगाला पगली के ते भुला जो भीहा हा कोई भाईल रे
भीहा हा कोई भायल रे
कि प्यार पईल मोय गाईलरे
मा जनवा जनवा के ते भुला जो भीहा हा कोई भाईल रे
रोहे क्या रोहे जो हिया ले जन यब योके ले रहा हो
सब उभुला जहां मरा के कसम जवन दे ले रहा हो
आपन खया रखे हम के भुला जाए
कैसे रोहे के बाहम के सिखावा न जानू
पाठक रोहित लेखा सुन्दर मा रोध तोर बानू
काँ
गवन भाये भाईल रे बिसलावा के लाए गाईल रे
रे पगला पगली के ते भुला जव बिया हाबा तोय भाईल रे
बिया हाबा तोय भाईल रे कि प्यार पाईल माई गाईल रे
मा जनवा जनवा के ते भुला जव बिया हाबा तोय भाईल रे