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Parikshit Ko Shrap Kyon Mila
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Uploaded by86_15635588878_1671185229650
राजा परिक्षित जी शिकार करने के लिए निकले
सुमराज देखा अपने राज कोस में बहुत दिनों से संचित किये हुए
युद्ध में जो पुर्वजों ने जीता था
वो स्वर्ण मुकुट एक बकसे में बहुत दिनों से रखा हुआ था
ना इस्तमाल हो रहा था ना किसी को दिया जा रहा था
आज परिक्षित जी ने सोचा कि क्यों ना इसी मुकुट को पहन करके सिकार के लिए निकले
मुकुट को पहना कलियों का वास हुआ सिकार पर निकले
सिकार करने के लिए देखा एक भी प्राड़ी मिला नहीं
लेकिन परिक्षित प्यास से व्याकुल हो करके इधर उधर अब जल ढूंढने लगे जल भी नहीं मिला माराज तो देखा एक रिशी समिक रिशी जी तब कर रहे थे शादना में बैठे थे सुकमंडल में जल था जाकर के निवेदन की विती की रिशिवर प्यास तगी है जल �
ढूंढने लगे थोड़ा पानी पिला लगा तब में माराज कहां से जागने वाले हैं अच्छा अच्छा एक निवेदन और सुमर्ण रहे हैं कि अगर कोई व्यक्ति भोजन कर रहा हो
तो आप सबसे विष तक मत मात्र रहेगा कि कोई व्यक्ति भोजन कर रहा हो टिस्टेक नहीं करना चाहिए कोई पूजा
कर रहा है तब भी विग्न मत डालें कि कोई जब-जब रहता हैकम मीडियू मत ढाये था में क्वाया इफेक्ट हो रहा था तब
नहीं क्रोध में राजा प्रक्षित ने किया क्या वहीं पर सर्प पड़ाता उसे लिया और गुस्से से रिशिवर के गले
पहनाया और चले वहीं पर कुछ रिशि बालक खेल रहे देखा कि बृत्त सर्व को रिशिवर के गले में डाला है जाकर के
उनके पेटे को बुला करके लेकर आए हैं शुरुद्धी रिशि का तुम्हारे पता जी के गले में किसी ने सर्व को डाल दिया
है और वह मरा हुआ सर्व शुरुद्धी रिशि बड़े कोध से आए कौशिकी नवी का जल लिया हाथ में और ले करके आए और श्राप
देते हैं कि जिसने भी मेरे पता जी के गले में यह बृत्त सर्व डाला है यह सर्व साथ दिन के अपने तक्षक होकर
उसे डसे और उसकी मृत्यु हो जाएगा कि अब रिशिवर जाएगी पूछा क्या हुआ बालकों ने बताया कि उन्होंने प्रकृति को श्राप दे दिया
रिशिवर जानते थे कि हमारे राजा तो ऐसे नहीं बड़े धर्मात कि अब रिशिवर बातें जानते हैं
है तो अब रिशिवर बालकों को कह करके संदेशा भेजा कि साथ दिन में मृत्यु कोई अच्छी उपाय कर लीजिए
राजा प्रकृति
ने मृत्यु को पास जाना किसे पास जाना मृत्यु को पास जाना पास जानकर किया सारे जितने भी राजपाद के साथ
से अपने पुत्र को सौंपा सौंप करके कुछ दान दक्षणा के लिए लेकर के निकले खूब सारे गव माताओं का द्यान किया
खूब सारे साधुसंतों को भोजन कराया सुन मुद्राओं का दाना लिया लेकिन संतुष्टि नहीं है कि क्या सच में
मैंने अभी तक अपने कर्म को बदल दिया है कर्म बिगड़े है ना जीवन में हमेशा याद रखिएगा व्यक्ति अपने कर्म से ही महान होता
है
और बगदी अपने कर्म से ही जाना जाता है
किला प्लैट 3 है इसलिए पिठा हजार रुपए में ख़रीदी भी पाया कि पही ओनिपेशन हेी हजार
ओर पर पे पेवी पाया पैरों पहने जाती है और दो-तीन उसे किन फॉर्म ही मान परसजाएं
जाने जाती है तो देखिए कर्म कर्म माइन रखता है कृत्य माइन रखता है कीमत नहीं नहीं
कर्म बिगड़ा है कर्म को सुधारने के लिए निकले दान दक्षन आयत्यादी सब कर लिया संतुष्टी नहीं
पूछ ली क्या करूं क्या 7 दिन बच्चा और जानते हैं जिस राजा पर ख्षस जी के लिए नहीं है कि सांत
बच्चे हमारे और आपके पास भी ना पि� down है और मेरी बातों पर यकीर नहीं तो विशार करके देखते हैं
कर दो कर दो कि पैटर हो गया है साथ होते हैं सोंगल जब दुलुन गुरु यूज करते हैं और
सब्सक्राइब जन्म लेते हैं और हमारे मृत्यु हो जाती है और अच्छी बात जब जिवा में विशादी भी
संगीत की देवी माता सर्श्वती जी ने भी साथ ही सुरों को प्रदाना किया है
कि रिश्यों में भी सब रिश्यों का एक अलग महत्व है
कि साथ ही हमारे पास भी आपके पास भी और राजा परक्षित जी के पास भी सोचते हैं क्या करें क्या करें
रास्ते में मार्ग में नारजी मिल गई नारजी ने बताया क्यों विचार कर रहे हैं आप श्रीमत भागवत की कथा
सुनें यह भी साथ दिन के अंदर ही संपन्न उठोने वाली है और निश्चित है इस कथा को आप सुनेंगे तो यह कथा तो प्रेदों
सब्सक्राइब करें और आपके पास तो साथ दिन का समय प्रिक्षित व्याक्ति लोगों को सुनाएगा कौन कौन कहेगा कौन
सुनाएगा कि उसकी चिंचा मत करो सुगदेव जी महाराजा वह कथा सुनाएगा कि 12 वर्षि
कि सुगदेव जी महाराज के पास राजा प्रिक्षित जी को छोड़ दिया है कि प्रणाम नित्यादि किया प्रणाम
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