यदा यदा ही धर्मस्य लानिर्भवति भारतह अभ्युत्धा नाम धर्मस्य तदात्मानम से जाम्यहम।
हर हर महादेव तृपुरारी जैहो माधव कृष्ण मुरारी
राम लला तो आए हैं शब्भू-कालः भी आएंगे।
सोगन्द सनातन धर्म की है।
ये मन्दिर वही बनाएंगे।
पिर मन्दिर मही बनायेंगे।
हम मन्दिर भव्य बनाएंगे।
पर मन्दिर वही बनाएंगे।
मिलकर बोलो सब एक साथ जैकाना जैशमूना
मिलकर बोलो सब एक साथ जैकाना जैशमूना
हर हर महा देव जबुरारी जैवो माधव विश्ण दुरारी
भारत माता के जखमों को अब और नहीं सह पाएंगे
हर जुल्म सितम की छाती पर अब भगवा हम लहराएंगे
अब धुरी आजाद हुई काशी मधुरा करवाएंगे
गंगा यमुना के जल को भी सर्यूसा हम महकाएंगे
हम मंदिर वहीं बनाएंगे तिर मंदिर वहीं बनाएंगे
मिलकर बोलो सब एक साथ जैका ना जैशंबुना
मिलकर बोलो सब एक साथ जैका ना जैशंबुना
हर हर महादेवत बुरारी जै हो माधल पृष्ण मुरारी
लाजेंगे बासुरी की धुन पर डम डम डम डमरू बजाएंगे
जै शिव शंकर जै श्री किषनासी ने पर हम लिखवाएंगे
ताशी वे भोले शंभू ढंधी पे बैठके आएंगे
लोपी ग्वालो और कई अनसंख कान हापी विज्ज में छाएंगे
हम मंदिर वहीं बनाएंगे फिर मंदिर वहीं बनाएंगे
हम मंदिर भव बनाएंगे पर मंदिर वहीं बनाएंगे
मिलकर बोलो सब एक साथ जय काना जय शम्भूना
हर हर महा देवत पुरारी जय हो माँख विश्ण मुरारी
हर हर महा देवत पुरारी जय हो माँख विश्ण मुरारी
यदा यदा ही धर्मस्य या निरभवती भारतह
अप्युत्था नाम धर्मस्य जदात्मानम से जम्यहं
परित्राणाय साथू नाम विनाशाय चदुष्कताम
धर्मसं स्थाप नार्थाय संभवामी युगे युगे
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