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Prem Se Kiska Janm Hota Hai
V.A
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Lyrics
Uploaded by86_15635588878_1671185229650
कि सीधा सा फार्मूला है कि प्रेम में शुक्र प्रेम शुक्र को जन्म देता है कि आप महिल में रहते हों या
शाधारण घर में रहते हैं प्रदर्श्य है तो आपका मन खुश है वे अ क्षम बेदना भर देघुरा दिल होना चाहिए
कि आपकी परिवार के शदस्य का दुख तुम्हारा दुख बन जाए है आपकी परिवार की मेंम्रों का सुख तुम्हारा सुख डबल
दूसरों
पीड़ा तुम्हारी पीड़ा बन जाए दुश्रों की बेदना तुम्हारी शंबेदना बन जाए
और कभी घर में कोई बहुत बड़ी आपत्य आ जाए प्रेम एकता और शंगठन से काम कीजिए
एक बहेडिया
कबूतर को पकड़ने के लिए दाना भेगता है
और कबूतरों के ऊपर फिर जाल भेगता है कबूतर सब फश जाते हैं
शब्द अलग-अलग पंख हड़ठड़ाते हैं
तुझे कबूतरों की झुंड में जो मुखिया कबूतर था
जिसका नाम था चित्र ग्रिव
चित्र ग्रिव ने कहा कि सावधान, सांतर हो सक
जब आपत्य में होना चाहिए तो सांत हो जाना चाहिए
इदर उदर पंख मत हिलाओ
मैं जो कहूँगा वो करूँगा
एक साथ सब को उड़ान भरना है और पूरे जाल को लेकर भी आकाश में उड़ जाना है
एक साथ अलग-अलग पंखे लाने से आपत्ती से बच नहीं पाओगा सब मारे जाओगा
क्योंकि बहलिया जाल फेंक चुका है आ रहा है
चित्र ग्रीव जो मुखिया था कबूतरों का उसने आदेश किया एक, दो, साड़े, तीन जब साड़े तीन बोला हो तो सब एक साथ उपर को उड़े और जाल लेकर उड़ गए
फिर आकास में जब पहुंचे तब उसने कहा अब जब दुबारा बोलूंगा तो सब नीचे बैठ जाना और चारों तरफ भाग जाना तो हवा में जाल उपर रह जाएगा
फिर बोला आकास में एक, दो, साड़े, तीन तो सब नीचे गिर गए और साइडों में भाग गए और जाल हवा में उड़ गया जाल अलग गिरा बहलिया दंग रह गया कि कबूतरों के भी शंगठन और नेतरत में दम होती है इतनी बड़ी आपत्य से बाहर निकल जाएगा
आपकी घर में, आपकी परिवार में कभी ये ऐसी बड़ी आपत्य आ साती है
और ऐसी विपत्ति में जब फस जाना तो परश्वर प्रेम और शंगठन और घर में जो मुखिया है उसकी बात मान कर सब काम करना तो आपत्ति से बच जाओगे, सुरच्छित हो जाओगे
और कभी भी अलग अलग इधर उधर खीचा खेची मत करो, और गुश्चा मत करो, ये क्रोध तुम्हें शाधरन बना देगा, गुश्चा तुम्हारे भाग्यों को विगाड सकती है
आखिर एक दिन गुश्चा तो नहीं रहेगी, लेकिन जो गुश्चा के कारण भाग्य विगड गया, वो तुम्हारे साथ रहेगा
गुस्सा तो ठंडी हो जाएगी एक दिन
सब की ठंडी हुई है
लेकिन जो गुस्सा के कारण काम बिगड़ गया
भाग्य बिगड़ गया, भविष्य बिगड़ गया
वो फिर बिगड़ा ही रहा
मैं अपने आश्रम में लखींपुर खीरी में
पार्क में परिक्रमा कर रहा था
तो एक डॉक्टर
सड़क पर साइकिल फेक कर और तोड़ कर
खूद कर आ गया, पाँच हुआ बोला
बहुत दिन से
ढूंढ रहा था कम भी लोग यहाँ
तो हमने कहा आप क्या करते हैं
बोली मैं डॉक्टर हूँ
अच्छा डॉक्टर है अब
बोले इसके पहले मास्टर था
उमने कह अच्छा मास्टर था
बोली इसके पहले लेकपाल था
तो हमने कह लेकपाल था
तो अब डॉक्टर कहा हूँ
प्राइवेट डॉक्टर है
हमने कहा कैसे
लेकपाल से तो और आगे बढ़
तो उसमें नोकरिस निकल गया फिर छुट्टी हो गया गुस्सा तो ठंडी हो गयी पर नोकरी चली गयी फिर मास्टर हो गया तो मास्टर हो गया तो एक दिन प्रनस्वल से कहा सुनी हो दी तो उसको भी मारा मूर्शी में तो मास्टरी भी चली गयी तो प्राइवेट डाक्ट
कि आखिरी सब कुछ खोने के बाद व्यक्ति अपनी गुश्चा को प्रोध को कंट्रोल करता है
कि इसलिए पहले से यदि अपनी गुश्चा को काबू कर लो अहिंकार को पालतु कुट्टा मत बनाओ अहिंकार को
शुराज की तरह चमक होने के लिए कर दो
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V.A
Uploaded byThe Orchard
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