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मारीं तमारी शक्ती बोली बोली बहुत, वचन ने पाल।
वचन विवेटी पानवाई, देनर ने नाच, दंबादीक लाबे ने पाच।
वचन विवेटी पानवाई, देनर ने नाच, दंबादीक लाभे ने पाच।
वचन तुक्या तो जासे रे चराशी वान।
वचन तुक्या
जाशे रे चोराशी माँ वचन चुक्षे चोराशी लक्षाण माँ पत्या करसे एन कदी मुक्ती नहीं मले गंगासपी पानबाई ने कहे ए पानबाई वचन ने निभाओ
आदे वचन तुट्यास रे
रगुकूल रीती सदा चैशारी
तानि दादु बरु वचन ने
रगुकूल रीती सदा चैशारी
तानि दादु बरु वचन ने
रगुकूल रीती
तानि दादु बरु वचन ने
रगुकूल रीती सदा चैशारी
तानि दादु बरु वचन ने
तानि दादु बरु वचन ने
अजुव प्रचानी नही नानी
अपडा कुल नी तो रीत केवी ती इज केवी जडती नती
नहीं असत्य समपातक सुन्दा
नहीं असत्य समपातक सुन्दा
नहीं असत्य समपातक सुन्दा
नहीं असत्य समपातक सुन्दा
नहीं असत्य समपातक सुन्दा
नहीं असत्य समपातक सुन्दा
तीरे समासो मूठसत्य मजबाद पुला
तेरी संभोगी की तोड़ी तोड़ी तोड़ी तोड़ी तोड़ी तोड़ी तोड़ी तोड़ी तोड़ी तोड़ी तोड़ी तोड़ी तोड़ी तोड़ी तोड़ी तोड़ी तोड़ी तोड़ी
शिव जीने विचार थेवो
अब जों करो सती सन प्रीती मिते भती पठ हो ही अनीती
अवे जो सती नी साथे प्रीत राखू
एने मानु रूप लिदू, अवे एनी साथे प्रित राखू, तो भक्ती नो पंप तूटे, मन मा शिव जी विचार करे, शु करू, एमा रदई मा प्रेरणा चाई, अने संकल्प कर्यो जे, सती नो आशरीर जा सुदी अशे, त्या सुदी एनी साथे मारो कोई ग्रास्त समं�
रहे, ग्रास्त आश्रम नो सबंध पूरो करिना चाई, आशरीर रहे से त्या सुदी सती पण मारे मंद मार रहा चाई, आम जे अध्रट संकल्प करे वो आकाश माती आकाश मानी थाई, धन्य शिव जी, धन्य, तमारा समान, आवी भक्ती ने कौन बलवत्तर बना, तेलाना
त्यारी थाईच गियो है, कि अवे अमना आकाश मानी करी नाने वजावी ले, चाँ तो फिरफार थाई गियो है, ध्रट संकल्प नती, नहीं तर तो आकाश मानी हजी पढ़ता, अवाज जरूर समला है, पण आपना संकल्पों मा ताई नते, आकाश मानी ये शिव जी ने �
बिर्दाव्या, तमारा सिवाई आवी भक्ती ने कौन ध्रट करे, आकाश मानी ने साभलता, सती ने शंका पड़ी, कि भगवाने एवी कै प्रतिग्या करी, कि आकाश मानी बिर्दाव्या, रस्तामा अनेक वार पूछी उच्छे, कि महाराज आपे शिव जी कै विदी प्र
बर्नक पंथ दिविदाईति आशा
बर्नक पंथ दिविदाईति आशा
विश्वेनात का लेके लासा
विश्वेनात का लेके लासा
बर्नक पंथ दिविदाईति आशा
बर्नक पंथ दिविदाईति आशा
बर्नक पंथ दिविदाईति आशा
बर्नक पंथ दिविदाईति आशा
बर्नक पंथ दिविदाईति आशा
विश्वनाथ तामू ले विश्वनाथ प्रसंग यागनवल्त भर्दवाच जी ने कहे पोताना प्रतिज्ञानो विचार करी ने म्रगचर्म बिचावी भगवान शंकर बेसी गया
सती ने पोताना विहवार ची वर्तन थी बतायू के मैं तमारो त्याग करे भगवान शिव जी राम नु ध्यान करी परमात्माना समिरन मा दूबी गया अही भवानी एकला थी गया जारे जारे जीव इश्वर नी साथे कपट करे परदो राखे त्यारे इश्वर थी येने छ�
त्यारे इश्वर कोईने छुटा नती पाड़ता मानव पोतानी बुद्धी थी पुर्वग्रहोती पोताना कर्तूतो थी परमात्मा थी जिदो पड़ें पची तो बहु पस्ताव थेयो भवानी ने भगवान नी स्तुती करे जे का तो शिव जी साथे समाधान करावी दो क
कामारो दिह विलाई थायू करो, खोब वर्षो वित्या रामायन मा वर्षो नी गनत्री आता, बाबाजी ये चोपायलर।
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