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Ram Katha By Morari Bapu - Vigodhi Vol. 9 Pt 10
V.A
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Lyrics
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राजिवनयन दरेधन सायक भगत विपति खंचन सुखलाई।
वंबल भवन अमंबल आवि द्रवन सो सर्थन अज्ञिव परुणाई।
जन कसुता जब जन निजानती।
हति सहपिय अरुणा।
आते जुगपर्चालम नावं।
आसुत्रिपा भीरमल मक्ता।
महावीर नीवं अन्माण।
राजिवनयन दरेधन सायक भगत विपति खंचन सुखलाई।

या सुझस्त आप वखार। प्रनवन कवन कुमार। खलबन पादत यान धनर। तासुर्हर आदर। धसे राम परचासुर्हर।
पुंदै उसमे कुमारवन परणार। जाली परणे कर्मुक्रता भर्जन्धर।
सिया राम मैं सभव जगजानी।
सिया राम मैं सभव जगजानी। ए प्रनाकुं दुखार।
श्री राम जन्दे शंक्रमने रम भर्धार।
आरण्ये भर्धार।
श्री राम जन्दे शंक्रमने रम भर्धार।
श्री राम जन्दे ख्वार।।
अव कंज रोचन कंज मुख पर कंज पद पंजार्वं
अर भर कंज रोचन कंज मुख पर कंज पालों ये राम चंगत पालों
अव कंज रोचन कंज मुख पर कंज पद पंजार्वं
मंदार पायादारी आमीतु चादी्यों
अपकीत माना परितरुषि उतिमालों जनक चुतावरा
अपकीत माना परितरुषि उतिमालों जनक चुतावरा
अपकीत माना परितरुषि उतिमालों जनक चुतावरा
अपकीत माना परितरुषि उतिमालों जनक चुतावरा
अपकीत माना परितरुषि उतिमालों जनक चुतावरा
अपकीत माना परितरुषि उतिमालों जनक चुतावरा
अपकीत माना परितरुषि उतिमालों जनक चुतावरा
अपकीत माना परितरुषि उतिमालों जनक चुतावरा
अपकीत माना परितरुषि उतिमालों जनक चुतावरा
अपकीत माना परितरुषि उतिमालों जनक चुतावरा
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V.A
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