शाम सबेरे तेरी आते आती है
आग की दुखों मेरे यू तरफाती है
ओम सालम पोहबत की पैसा
मिलके भी छड़ना तो दस्तूर हो गया
यादों में तेरी मजबूर हो गया
ओम सालम
इन यादों की पैसा
सुझी समाया की दिल है
खिलाओं
ना जाना है अब क्या है दिल का
लगाना नस्रों से अपना आउं को
गिराना बर भी गए
तो भूल ना जाना है
आखों में बसे हो पर दूर हो गई
दिल के करीबों
हुए मुझे को है अगी
ओम सालम
तेरे प्यार की पैसा
हुआ हुआ हुआ
हुआ हुआ
हुआ हुआ