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Santo Ne Ajamil Ko Putra Ka Naam

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कि शुक्देव जी राजा परिक्षित को आगे कथा सुनान लगे
कि कहा राम नाम की महीमा बढ़िया प्रमपार एक अजामिल नाम की ब्राम्मण है और अजामिल का अजा का मतलब होता
है माया है जिसे माया से ही मतलब है वह अजामिल अजामिल नाम नाम की ब्राम्मण है वित्वान ब्राम्मण हैं पर
कर्मों से
एक वेश्या के सूत्र से रत देखा मति मलीन हो गई और उस
कि देवी से उसने विवाहरा चाहिए अब तो कु कर्म करने लगा है एक दिन संत लोग आए हैं
है और बहाद देवी जो थी वह भगवान की भक्त थी
कि अ
कि संत लोग आए संतों को भोजन बवाया इतने में आजामिल ब्राम्मण आ गए और संतों को देखर लाल-पिली हो गए
हैं पर ब्राम्मण देवी आ गई अंतौर ने भोजन पर नेट बाद कहा गए मुझे दक्षित ना दो कमराज दक्षित नाक्षित
नहीं है मेरा काम है चोरी करना और जितने कमंडल है आपके यह समझ लो यही दक्षिना यह इसको में रख लूंगा
है अब संतों ने विचार के इसके कल्याण किसी हो आजामिल चाहिए दक्षिना मत दो पर एक काम करना तो तुम्हारी
पेशी नहीं लगे सारे संत आशिर्वाद देकर चले गई कालांतर में उस देवी को एक पुत्र हुआ नाम रख दिया नारायन
है और जैसे नारायन रखा पर आजकल की विडम्मना यह है कि बच्चों के नाम ऐसे-ऐसे रख रहे हैं
तो चिंटू ना पिंटू ने गोलू ना जाने क्या-क्या नाम रखते हैं और यहां तक स्वीटी नाम रखते हैं
अब स्वीटी वालियक है छोटी कन्याएं गुढियां तब तक तो अच्छी लगती हैं अब वह मान लो 80 साल की हो जाए
स्वीटी दादी बोलोगी कि आप इसलिए नाम ऐसा रखो यथा नाम तथा गुण जैसे गुणों वैसे नाम में रखने चाहिए
कि जब जन्म हो तो पंडिजी के पास जाए पंचांग दिखाए क्या नक्षत्रे क्या तिथिये वार है क्या चरण है
और ऐसा नाम रखो भगवान से मिलते हैं जिससे दिन भर में 150 बार हमारी माला इसी हो जाएं कि अंत समय
में नाम निकल जाए तुम भवसागर से पार हो जाए बोली गोपाले कृष्ण भगवान ने कीजिए अजामिन सो रहा है और रात्री में
हम यंदूता आये पास लेकर तरह में तास लेकर आए ए और उस अजामिन को ले जाने लगे अब पर जामें भवनाने लगा है
और उसने अपने पुत्र ना को याद कि आटारा इसमें रक्षा करो है है अब वह नारयण तो नहीं है उसका पुत्र और बेकुंड
पारसद आ गए उसकी रक्षा करने के लिए नाम की महिमा है पारसद लोग आए और यम के दूस से छुड़ाया और बेकुंड
को ले गए प्रार्थना करने लगा यह अजामिल प्रार्थना करने लगा कि भगवान मैंने जीवन में पाप कर्म किए और
फूलवस मैंने अपने बेटे को याद किया जिसमें बेकुंड से पारसद मुझे लेने आए अगर मैं सचमुझ में प्रभु आपको
याद करता तो मैं कहां चला जाता हूं कि भगवान को धन्यवाद देने लगा है नाम जपने से भव से पागर हो पार हो गए अजामिल
है और कहां जाना था और कहां चले गए यम के दूत लेने आए पर नारायण नाम भुकार अपने पुत्र का तो पेकुंठ को
चले गए इसलिए अपने पुत्र का नाम भगवान से मिलता-जोता होना चाहिए हरीना रायण ऐसे भगवान के नाम
बोली गोपाल गृष्ण भगवान ने की जय तो ऐसे भगवान के नाम है जो सबका कल्याण करते हैं
कि यम दूध गए यम राज की पास महाराज जिस नाम की महीमा क्या है तो काम नाम की महीमा तो मैं भी
जान पाता हूं बारा लोग जरूर जानते द्वादस भक्त भगवान के हैं भाव ये कुबाय अनक्यालस हो और नाम जपत मंगल
देशी दश हो भाव यकुभाव ऐसे भी भगवान का भजन करो कल्याण निश्चित है जिस प्रकार से हम बिश्पी हैं तो उसका काम है
मारना और अमृत का काम है कहार ना तो ऐसा ही भगवान का नाम है जैसे बीज बोते खेत में यह तो कोई सीधे
तो बोते नहीं उल्टे सीधे जैसे पर निकलते हैं सीधे तो क्लीज से भी भगवान का नाम लो मुकल जाना
स्वयं भुर्णार्दाशं भू कुमारा कपिलो मनों प्रह्ला दो जन को भिष्म वलिरवय्या सकिलवयं द्वाद सेते विजानीमों
स्वयं भुर्णार्द जी माराज शिव जी कुमार कपिल मुनि मनु माराज प्रह्लाद जनक जी आदि भगवान की नाम की महिमा जानते हैं
पर नाम भी भगवान का ऐसा है जो तारण हार है बहुत शिपार करता है
कि नीति के बिना राज
आज
जो
धर्म के बिना धन
और परमात्मा को समर्पन किये बिना शुब कर्मों
विवे के बिना विध्या
कुसंगत से सन्यास
अहंकार से ज्यान
और सराब से खानदान
समाप्त हो जाती है
इसलिए नीति भी हो तो धर्म की द्वारा हो
बोले गोपाले कृष्टन भगवाने की जय
कि कहा राम नाम की महीमा बढ़िया प्रमपार एक अजामिल नाम की ब्राम्मण है और अजामिल का अजा का मतलब होता
है माया है जिसे माया से ही मतलब है वह अजामिल अजामिल नाम नाम की ब्राम्मण है वित्वान ब्राम्मण हैं पर
कर्मों से
एक वेश्या के सूत्र से रत देखा मति मलीन हो गई और उस
कि देवी से उसने विवाहरा चाहिए अब तो कु कर्म करने लगा है एक दिन संत लोग आए हैं
है और बहाद देवी जो थी वह भगवान की भक्त थी
कि अ
कि संत लोग आए संतों को भोजन बवाया इतने में आजामिल ब्राम्मण आ गए और संतों को देखर लाल-पिली हो गए
हैं पर ब्राम्मण देवी आ गई अंतौर ने भोजन पर नेट बाद कहा गए मुझे दक्षित ना दो कमराज दक्षित नाक्षित
नहीं है मेरा काम है चोरी करना और जितने कमंडल है आपके यह समझ लो यही दक्षिना यह इसको में रख लूंगा
है अब संतों ने विचार के इसके कल्याण किसी हो आजामिल चाहिए दक्षिना मत दो पर एक काम करना तो तुम्हारी
पेशी नहीं लगे सारे संत आशिर्वाद देकर चले गई कालांतर में उस देवी को एक पुत्र हुआ नाम रख दिया नारायन
है और जैसे नारायन रखा पर आजकल की विडम्मना यह है कि बच्चों के नाम ऐसे-ऐसे रख रहे हैं
तो चिंटू ना पिंटू ने गोलू ना जाने क्या-क्या नाम रखते हैं और यहां तक स्वीटी नाम रखते हैं
अब स्वीटी वालियक है छोटी कन्याएं गुढियां तब तक तो अच्छी लगती हैं अब वह मान लो 80 साल की हो जाए
स्वीटी दादी बोलोगी कि आप इसलिए नाम ऐसा रखो यथा नाम तथा गुण जैसे गुणों वैसे नाम में रखने चाहिए
कि जब जन्म हो तो पंडिजी के पास जाए पंचांग दिखाए क्या नक्षत्रे क्या तिथिये वार है क्या चरण है
और ऐसा नाम रखो भगवान से मिलते हैं जिससे दिन भर में 150 बार हमारी माला इसी हो जाएं कि अंत समय
में नाम निकल जाए तुम भवसागर से पार हो जाए बोली गोपाले कृष्ण भगवान ने कीजिए अजामिन सो रहा है और रात्री में
हम यंदूता आये पास लेकर तरह में तास लेकर आए ए और उस अजामिन को ले जाने लगे अब पर जामें भवनाने लगा है
और उसने अपने पुत्र ना को याद कि आटारा इसमें रक्षा करो है है अब वह नारयण तो नहीं है उसका पुत्र और बेकुंड
पारसद आ गए उसकी रक्षा करने के लिए नाम की महिमा है पारसद लोग आए और यम के दूस से छुड़ाया और बेकुंड
को ले गए प्रार्थना करने लगा यह अजामिल प्रार्थना करने लगा कि भगवान मैंने जीवन में पाप कर्म किए और
फूलवस मैंने अपने बेटे को याद किया जिसमें बेकुंड से पारसद मुझे लेने आए अगर मैं सचमुझ में प्रभु आपको
याद करता तो मैं कहां चला जाता हूं कि भगवान को धन्यवाद देने लगा है नाम जपने से भव से पागर हो पार हो गए अजामिल
है और कहां जाना था और कहां चले गए यम के दूत लेने आए पर नारायण नाम भुकार अपने पुत्र का तो पेकुंठ को
चले गए इसलिए अपने पुत्र का नाम भगवान से मिलता-जोता होना चाहिए हरीना रायण ऐसे भगवान के नाम
बोली गोपाल गृष्ण भगवान ने की जय तो ऐसे भगवान के नाम है जो सबका कल्याण करते हैं
कि यम दूध गए यम राज की पास महाराज जिस नाम की महीमा क्या है तो काम नाम की महीमा तो मैं भी
जान पाता हूं बारा लोग जरूर जानते द्वादस भक्त भगवान के हैं भाव ये कुबाय अनक्यालस हो और नाम जपत मंगल
देशी दश हो भाव यकुभाव ऐसे भी भगवान का भजन करो कल्याण निश्चित है जिस प्रकार से हम बिश्पी हैं तो उसका काम है
मारना और अमृत का काम है कहार ना तो ऐसा ही भगवान का नाम है जैसे बीज बोते खेत में यह तो कोई सीधे
तो बोते नहीं उल्टे सीधे जैसे पर निकलते हैं सीधे तो क्लीज से भी भगवान का नाम लो मुकल जाना
स्वयं भुर्णार्दाशं भू कुमारा कपिलो मनों प्रह्ला दो जन को भिष्म वलिरवय्या सकिलवयं द्वाद सेते विजानीमों
स्वयं भुर्णार्द जी माराज शिव जी कुमार कपिल मुनि मनु माराज प्रह्लाद जनक जी आदि भगवान की नाम की महिमा जानते हैं
पर नाम भी भगवान का ऐसा है जो तारण हार है बहुत शिपार करता है
कि नीति के बिना राज
आज
जो
धर्म के बिना धन
और परमात्मा को समर्पन किये बिना शुब कर्मों
विवे के बिना विध्या
कुसंगत से सन्यास
अहंकार से ज्यान
और सराब से खानदान
समाप्त हो जाती है
इसलिए नीति भी हो तो धर्म की द्वारा हो
बोले गोपाले कृष्टन भगवाने की जय
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